उत्तराखण्ड
चारधाम यात्रा में पशु क्रूरता : धर्म की नजर में यह पाप है
यात्री चाहें तो देव भूमि में चल रहे इस पाप पर लग सकती है लगाम
सीएन, देहरादून। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में यात्रियों को सामान सहित अपनी पीठ पर ढोते निरीह घोड़े-खच्चरों के लिए अपनी जान बचाना मुश्किल हो गया है। मानकों से अधिक वजन उठाने को मजबूर और थके-मांदे भूखे इन पशुओं की हालत दयनीय है। भगवान के दरबार में भी बंधन में जकड़े रहना और डंडों की मार सहना जैसे इनके भाग्य में लिखा हो। चारधाम पहुंचने के लिए हजारों तीर्थ यात्रियों को पैदल पथ पार कराने में सच्चे साथी साबित होते रहे 60 से भी अधिक घोड़े-खच्चरों की मौत भी एक हद तक इनके स्वामियों के लालच के साथ सरकार की लापरवाही और बदइंतजामी का नतीजा है। कठिन परिश्रम करते इन पशुओं को भोजन, पानी, आराम, दवा की व्यवस्था में भारी कोताही है। उत्तराखंड की सरकार ने इस ओर से आंखें मूंद ली हैं। निरीह पशुओं की हालत पर कुछ धर्मध्वजी कह रहे हैं कि यही पूर्व जन्मों के कर्म होते हैं। कर्म फल भोग से बच नहीं सकते। कम से कम यात्री ही संवेदनशील होकर कमजोर-बीमार पशुओं की सवारी से परहेज कर लें तो देव भूमि में चल रहे इस पाप पर कुछ तो लगाम लग सकती है।