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उत्तरकाशी

उत्तरकाशी में लाखों की काजल-काठ बरामद, दो नेपाली गिरफ्तार

सीएन, उत्तरकाशी। निकटवर्ती डुंडा में इनोवा कार में लाखों की कांजल की लकड़ी पकड़ी गई। उत्तराखंड की बानगी देखिए की जिस लकड़ी को हम गैर उपयोगी समझते हैं, उसे जंगलों में सड़ने गलने के लिए छोड़ देते हैं। सही मायने में हमे उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के जंगलों में मिलने वाली, पाई जाने वाली, उगने वाली जड़ी बूटियों के बारे में, यहां के पेड़ पौधों के बारे में जानकारी हीं नहीं है कि इनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों में है। इनकी उपयोगिता क्या है, इसकी भी जानकारी ही नहीं है। इन सबके बारे में कोई जानकारी है तो वो है नेपालियों के पास। आज भी डुंडा में दो नेपाली  को कांजल की चार लाख बाजार मूल्य की लकड़ी 4 बोरो में बोलेरो के साथ पुलिस ने चेकिंग के दौरान गिरफ्तार किए। पहली बार कांजल की लकड़ी के बारे में सुना व देखा। इस कांजल के पेड़ पर बनी गांठ की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मूल्य करोड़ों में है। इस काजल की गांठ की बनी कटोरी कटोरों एवम दूसरे बर्तन की कीमत आसमान छूती हैं। 
नाम भले ही ‘काजल-काठ’ (लकड़ी) हो मगर यह है, बड़े काम की और कीमती चीज. कहने देखने सुनने में यह ‘लकड़ी’ से ज्यादा कुछ नहीं है. बावजूद इसके इसका काम, मान्यता-जरुरत, इसकी कीमत को बढ़ाकर ‘अनमोल’ कर देते हैं. बस सबसे बड़ी दिक्कत है इसे तलाशने-पहचानने की. इसकी खोज पूरी होने के बाद जो सबसे बड़ी परेशानी सामने आती वो है, इस काठ को इसकी मंजिल तक पहुंचाने का भीषण संकट. कहा जाता है कि, ‘काजल’ नाम की इस कीमती लकड़ी की हिंदुस्तान में उपलब्धता बेहद कम है. जिन-जिन स्थानों या जंगलों में मिलती भी है तो, वहां इसकी हिफाजत बहुत की जाती है. मतलब अगर किसी के पास यह लकड़ी है भी तो वो इसे, आसानी से किसी को मुहैया नहीं होने देता. क्योंकि वो जानता है कि, काजल की लकड़ी या फिर काजल का काठ कितने काम का है! पड़ोसी देशों में इसकी भारी मांग है। हिंदुस्तान में यह अगर कहीं कुछ ज्यादा मात्रा में पाई जाती है तो वो है उत्तराखण्ड के जंगल। यूं तो इस काजल की लकड़ी की डिमांड भारत के पड़ोसी देशों में से सबसे ज्यादा नेपाल में होती है। वहां काजल लकड़ी पहुंचने के बाद इसके ‘बाउल’ बनाए जाते है। यह बाउल फिर अन्य देशों में लाखों रुपये प्रति बाउल की ऊंची कीमत पर बिकता है। यही प्रमुख वजह है कि काजल की लकड़ी की सबसे ज्यादा तस्करी भारत से नेपाल को होती है।

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