क्राइम
पैरोल : राम रहीम को क्या नियमों के परे जाकर दी जा रही ज्यादा ढील
सीएन, रोहतक। डेरा प्रबंधक की हत्या और दो साध्वियों के रेप मामले में हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फिर पैरोल पर छूट गया है. उसने 25 जनवरी को शाह सतनाम सिंह के जन्मदिन में शामिल होने के लिए अर्जी लगाई थी. साथ ही 25 जनवरी के सत्संग और भंडारे के लिए जेल प्रशासन को अर्जी भेजकर सिरसा आने की गुहार लगाई थी. प्रशासन ने उसकी मंजूर की ली. बता दें कि गुरमीत राम रहीम को इससे पहले अक्टूबर 2022, जून 2022 में पैरोल और फरवरी 2022 में फर्लो मंजूर की गई थी. लिहाजा, सवाल उठ रहा है कि क्या गुरमीत राम रहीम को नियमों के परे जाकर पैरोल दी जा रही है. इससे पहले समझते हैं कि पैरोल क्या है, इसके नियम क्या हैं? पैरोल शब्द फ्रांसीसी वाक्य ‘जे डोने मा पैरोल’ से लिया गया है. इसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘यू हैव माय वर्ड’ होता है. अब अगर इसको हिंदी में अनुवाद करें तो मतलब निकलता है, ‘मैं वादा करता हूं.’ अब आपके मन में सवाल पैदा हो सकता है कि ऐसा कैसा वादा, जिसके आधार पर सजा काट रहे अपराधी को जेल से तय समय के लिए रिहाई मिल सके. दरअसल, सजायाफ़्ता मुजरिम कानून से वादा करता है कि उसे पैरोल पर कुछ समय के लिए जेल से बाहर निकाल दिया जाए और वह इसका किसी भी तरह से गलत फायदा नहीं उठाएगा. पैरोल जेल में बंद किसी भी कैदी को उसके परिवार से मिलने का विशेषाधिकार उपलब्ध कराता है.