क्राइम
हाईकोर्ट में ट्रायल देखने आए थे आरोपी, जज की पड़ी नजर तो पहुंच गए जेल
हाईकोर्ट में ट्रायल देखने आए थे आरोपी, जज की पड़ी नजर तो पहुंच गए जेल
सीएन, कलकत्ता। अपनी तरह के एक अनोखे फैसले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को उस दौरान जेल में भेजने का आदेश दिया जब वो कोर्ट रूम में बैठकर ट्रायल देख रहे थे। हालांकि दोनों को स्पेशल कोर्ट से जमानत मिली थी। लेकिन हाईकोर्ट के जस्टिस ने दोनों को देखा तो कोर्ट रूम से ही अरेस्ट करा दिया। हाईकोर्ट का ईडी से कहना था कि दोनों को दोपहर तक स्पेशल कोर्ट के सामने पेश कर रिमांड पर लिया जाए। शैलेश कुमारक पांडेय और प्रसेनजीत दास 108 करोड़ के घोटाले में आरोपी हैं। दोनों को ईडी ने अरेस्ट किया था। लेकिन स्पेशल कोर्ट ने उनको जमानत पर रिहा कर दिया था। स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी को आदेश पारित किया था, जिसके तहत दोनों आरोपियों के प्रोडक्शन वारंट कैंसिल करके उनको रिहा कर दिया गया था। ईडी ने आदेश के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। खास बात है कि हाईकोर्ट जब ईडी की रिट पर सुनवाई कर रहा था तभी जज की नजर दोनों आरोपियों पर पड़ी। दोनों कोर्ट रूम में बैठकर ट्रायल देख रहे थे। जस्टिस तीर्थांकर घोष ने ईडी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों को कोर्ट रूम में बैठे देखा तो उनका पारा चढ़ गया। जस्टिस तीर्थांकर ने ईडी को आदेश दिया कि वो दोनों को तत्काल कोर्ट रूम से ही अरेस्ट करे और दोपहर तीन बजे से पहले स्पेशल कोर्ट के सामने पेश करे। हाईकोर्ट के इस आदेश से कोर्ट रूम में सनसनी फैल गई। इस तरह से किसी की आरोपी का उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है। ईडी की तरफ से पेश एडवोकेट फिरोज एडुलजी ने हाईकोर्ट से कहा कि स्पेशल कोर्ट का आदेश गलत था। एजेंसी अभी तक क्राइम के पीछे के तारों को जोड़ने में जुटी है। ऐसे में आरोपियों को बेल पर रिहा किए जाने से मामले की विवेचना पर असर पड़ेगा। उनका कहना था कि ईडी अभी तक ये देख रही है कि 108 करोड़ के घोटाले में किन किन लोगों को फायदा मिला था। आरोपियों की भूमिका को लेकर भी जांच अहम पड़ाव पर है। ईडी के वकील का कहना था कि स्पेशल कोर्ट ने आरोपियों के प्रोडक्शन वारंट खारिज करके उन दोनों को बेल पर रिहा कर दिया। उनका कहना था कि हमने स्पेशल कोर्ट से आरोपियों की 15 दिनों की रिमांड पर भेजने को कहा था। आरोपियों का कहना था कि दोनों को रिहा करने का आदेश बिलकुल ठीक था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले विजय मंडल चौधरी बनाम भारत सरकार का हवाला भी दिया।