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कलियुग के अंत में मनुष्य की औसत आयु 12 से 20 वर्ष तक ही रह जाएगी,

कलियुग के अंत में मनुष्य की औसत आयु 12 से 20 वर्ष तक ही रह जाएगी,
सीएन, नईदिल्ली।  
हिन्दू धर्म में कलयुग युग चक्र में चार युगों यानी विश्व युगों में से चौथा, सबसे छोटा और सबसे बुरा युग है, जिसके पहले द्वापर युग और उसके बाद अगले चक्र का कृत सत्य युग आता है। ऐसा माना जाता है कि यह वर्तमान युग है, जो संघर्ष और पाप से भरा है। कलियुग के अंत के निकट, जब सद्गुण अपने सबसे बुरे रूप में होते हैं एक प्रलय और धर्म की पुनर्स्थापना होती है, जिससे अगले चक्र के कृत सत्य युग की शुरुआत होती है, जिसके बारे में कल्कि ने भविष्यवाणी की है। विष्णु पुराण के अनुसार अभी कलियुग का प्रथम चरण ही चल रहा है। कलियुग को शुरू हुए लगभग 5000 वर्ष ही बीते चुके हैं। विष्णु पुराण में कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष बताई गई है। विष्णु पुराण में कलयुग में इंसान के शरीर में आने वाले बदलावों को लेकर भी भविष्यवाणी की गई है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलयुग में मनुष्य की आयु और लंबाई दोनों ही घटती जाएंगी। वर्तमान में हम समाज में जब भी कोई बुराई या अपराध होता हुआ देखते.सुनते हैं, तो हमारे मुंह से अचानक ही निकल जाता है कि घोर कलियुग चल रहा है। इसका अर्थ यह है कि हमें कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा तो है कि कलियुग में हर तरफ बुराई का ही बोल-बाला रहेगा। कलियुग जैसे-जैसे अपनी चरम सीमा की तरफ बढ़ता जा रहा है, हमें समाज में और भी काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जैसे पहले की अपेक्षा अब उम्र बढ़ने के बाद भी लोगों में पहले जैसा ही गुस्सा रहता है। वहीं अगर आप त्रेता या द्वापर युग से तुलना करें, तो आज कलियुग में लोगों की शारीरिक बनावट में भी काफी बदलाव देखने को मिलता है। विष्णु पुराण में लोगों की लंबाई, उम्र और बनावट से जुड़ीं कई भविष्यवाणियां की गई हैं।  त्रेतायुग और द्वापर युग की कहानियों में मनुष्य की औसत आयु 100 वर्ष हुआ करती थीं। महाभारत की कथा के अनुसार द्वापर युग में भीष्म पितामह की आयु 150 वर्ष से भी ज्यादा थी। वहीं श्रीकृष्ण की आयु लगभग 125 वर्ष थी। वाल्मिकी रामायण के अनुसार प्रभु श्री राम ने अयोध्या पर 100 वर्षों से अधिक शासन किया था। अब ऐसे में जाहिर सी बात है कि त्रेतायुग में भगवान राम की आयु 100 वर्षों से भी ज्यादा थी। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत में मनुष्य की औसत आयु 12 से 20 वर्ष तक ही रह जाएगी। कई पौराणिक कहानियों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि त्रेता युग और द्वापर युग में मनुष्य की लंबाई 7 फीट तक हुआ करती थी लेकिन जैसे-जैसे द्वापर युग का अंत हुआ और कलियुग का आगमन हुआ मनुष्य की लंबाई भी कम होने लगी। कलियुग में मनुष्य की औसत लंबाई साढ़े 5 फीट से लेकर 6 फीट तक हो गई है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग जब अपनी चरम सीमा पर होगा, तो मनुष्य की लंबाई घटकर 4 इंच तक रह जाएगी। त्रेतायुग सहित हर युग में प्राकृतिक रूप से मनुष्य की आंखें बहुत ही सुंदर हुआ करती थीं। मनुष्य की आंखों की चमक में उसके मनोभावों को भी देखा जा सकता था लेकिन कलियुग में आंखें भी मनुष्य की तरह ही छलने लगी हैं। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य की आंखों की बनावट में भी कई बदलाव आएंगे। औसत रूप से मनुष्य की आंखें छोटी होती जाएंगी। वहीं उम्र से पहले ही मनुष्य की आंखें कमजोर होने लग जाएंगी।बिल्कुल आस.पास खड़े मनुष्य भी एक.दूसरे को नहीं देख पाएंगे। त्रेतायुग और द्वापर युग में मनुष्य प्राकृतिक तरीकों से अपनी सुंदरता को बनाए रखता था। आयुर्वेद में उल्लेखित कई जड़ी.बूटियों का उपयोग करके स्त्रियां कई दशकों तक युवा नजर आती थीं। वहीं, पुरुषों की त्वचा पर भी एक विशेष प्रकार की चमक थीए लेकिन कलियुग में मनुष्य अपने चेहरे की प्राकृतिक चमक को खोता जा रहा है। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग के अंत तक मनुष्य कई प्रकार के त्वचा रोगों से घिर जाएगा और चेहरे पर नाम मात्र की चमक भी नहीं बचेगी। त्रेतायुग और द्वापर युग में मनुष्यों के बाहुबल की सराहना दूर.दूर तक फैलती थी। इन दोनों ही युगों में ऐसे योद्धा हुआ करते थे, जो बिना किसी अस्त्र के केवल अपने बाहुबल और मांसपेशियों के बल पर अपने शत्रुओं को मार देते थे लेकिन वर्तमान में लोगों की शारीरिक क्षमता कम होती जा रही है। अब लोग थोड़ी.सी मेहनत के बाद ही थककर चूर हो जाते हैं। विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार कलियुग में मनुष्य की मांसपेशियां उम्र से बहुत पहले ही सिकुड़ती जाएंगी, जिसका प्रभाव मनुष्य की क्षमताओं पर पड़ेगा। हिन्दू धर्म में कलियुग, युगचक्र में चार युगों विश्व युगों में से चौथा, सबसे छोटा और सबसे बुरा युग है, जिसके पहले द्वापर युग और उसके बाद अगले चक्र का कृत सत्य युग आता है।
कलियुग का अंत 428,899 ईस्वी में होगा
ऐसा माना जाता है कि यह वर्तमान युग है, जो संघर्ष और पाप से भरा है। पुराणों के अनुसार, कृष्ण की मृत्यु ने द्वापर युग के अंत और कलियुग की शुरुआत को चिह्नित किया, जो17-18 फरवरी 3102 को हुआ था। ईसा पूर्व 432,000 वर्षों यानी 1,200 दिव्य वर्ष तक चलने वाला कलियुग 5125 वर्ष पहले शुरू हुआ था और 2024 ईसवी तक इसके 426875 वर्ष शेष हैं। कलियुग का अंत 428,899 ईस्वी में होगा। कलियुग के अंत के निकट जब सद्गुण अपने सबसे बुरे रूप में होते हैं एक प्रलय और धर्म की पुनर्स्थापना होती है जिससे अगले चक्र के कृत सत्य युग की शुरुआत होती है जिसके बारे में कल्कि ने भविष्यवाणी की है

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