संस्कृति
कुमाऊं द्वार महोत्सव में मंगलवार की रात लोकगायकों के सुरों से सराबोर रही, झूम उठे दर्शक
सीएन, हल्द्वानी। एमबी इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित पांच दिवसीय कुमाऊं द्वार महोत्सव में मंगलवार की रात लोकगायकों के सुरों से सराबोर रही। महोत्सव के चौथे दिन सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण उत्तराखंड के पारंपरिक परिधानों और आभूषणों पर आधारित प्रतियोगिता रही। इसमें प्रतिभागियों ने कुमाउनी-गढ़वाली पारंपरिक वेशभूषा जैसे पिछोड़ा, घाघरा, नथ, बुलाक, गुलुबंद आदि को प्रदर्शन किया।कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमारी संस्कृति को सहेज कर रखते हैं। ऐसे आयोजनों का समय-समय पर होना आवश्यक है, जिससे न केवल हमारी परंपराएं जीवित रहती हैं, बल्कि नए कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का महत्वपूर्ण मंच मिलता है। देर शाम तक चले कार्यक्रमों में दर्शकों ने पारम्परिक परिधानों और आभूषण में सजे कलाकारों के लोकनृत्य के साथ ही लोकगायकों के गीतों का भी जमकर लुत्फ उठाया। लोकगायकों ने कुमाउनी और गढ़वाली गीतों की ऐसी शानदार जुगलबंदी पेश की, कि मैदान में मौजूद हर कोई थिरकने को मजबूर हो गया। सांस्कृतिक संध्या में लोकगायक इंदर आर्या ने चुनरी तेरी चमकानी, गुलाबी शरारा…, अंग्रेजी मैडम देख मॉर्डन कुमाऊं मेरो मॉर्डन कुमाऊं, दीक्षा ढौंडियाल ने हाय! रूपे की राजूला पहाड़ों की बांद हो, मैं कुमाऊं की रानी तू गढ़वाल का राजा, कमला देवी ने ओ, सपना देख्यां, याद रातौं, जी रातौं जी राजूला, मालू… आदि गीतों की प्रस्तुति दी। वहीं श्वेता मेहरा ने तेरी ढाई हाथे धमेली पूजी रे कमरा, म्यारू प्यारो सइयां, मायादार सइयां आदि गीतों पर मनमोहक प्रस्तुति दी।उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कुमाऊं द्वार महोत्सव ने उत्तराखंड की संस्कृति को बचाए रखने के लिए अच्छी पहल की है। इस तरह के कार्यक्रमों से नए कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। उन्होंने कुमाऊं द्वार महोत्सव के आयोजक गोविंद दिगारी और खुशी जोशी को भी बधाई दी। कार्यक्रम में नगर निगम के महापौर गजराज सिंह बिष्ट समेत तमाम लोगों ने विचार रखे।आयोजक गोविंद दिगारी और खुशी जोशी ने सभी का आभार जताया।
