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यह सिर्फ मेला नहीं है, यह सांस्कृतिक पर्व है, 15 नवंबर तक होंगे स्पेशल कार्यक्रम

यह सिर्फ मेला नहीं है यह सांस्कृतिक पर्व है, 15 नवंबर तक होंगे स्पेशल कार्यक्रम
सीएन, जयपुर।
दुनिया के सबसे बड़े और सबसे रंगीन ऊंट शो में से एक अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला 2024 का आगाज राजस्थान के अजमेर जिले की ब्रह्म नगरी में बड़े ही धूमधाम से किया गया। यह मेला 9 से 15 नवंबर तक चलेगा। भारत के सबसे शानदार आयोजनों में से एक है पुष्कर मेला या पुष्कर ऊंट मेला, जो राजस्थान के छोटे से शहर पुष्कर में हर साल आयोजित किया जाता है। इस साल यह उत्सव 9 नवंबर को शुरू हुआ और 15 नवंबर को समाप्त होगा। अपने चहल.पहल भरे बाज़ारों, ऊंट दौड़, लोकनृत्यों और जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शनों के लिए मशहूर यह मेला दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। पुष्कर मेला सिर्फ एक मेला नहीं है, यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो भारत के सबसे खूबसूरत रेगिस्तानी शहरों में से एक में परंपरा, आध्यात्मिकता और उत्सव के उत्साह को एक साथ लाता है। पुष्कर मेले में सबसे रोमांचक आयोजनों में से एक है ऊंट दौड़। राजस्थान के कुशल ऊंट चरवाहों को अपने सजे.धजे ऊंटों को दौड़ाते हुए देखें, जिसमें वे अपने संचालन कौशल का प्रदर्शन करते हैं। इस उत्सव में ऊंट सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं जहां सबसे अच्छे सजे ऊंटों को पुरस्कार दिए जाते हैं। राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत ने बीते शनिवार को इसमें शामिल हुए। पुष्कर मेले का उद्घाटन प्रसिद्ध नगाड़ा वादक नाथू लाल सोलंकी ने नगाड़ा बजाकर किया। इसके बाद सबसे पहले पुष्कर के ऊंट सफारी वालों की रैली निकाली गई। जिसमें ऊंट सफारी वालों ने अपने ऊंटों को अद्भुत तरीके से सजाया था। उसके बाद सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने रेगिस्तान के जहाज ऊंट और पुष्कर मेले की रेत पर कलाकृति बनाई। तीसरे चरण में देशी-विदेशी युवाओं के बीच फुटबॉल मैच का भी आयोजन किया गया। जिसमें देश के साथ विदेशियों ने भी अपना दमखम दिखाया। उद्घाटन समारोह के दौरान विदेशी पर्यटक पुष्कर मेले का खूब लुत्फ उठाते नजर आए। पर्यटक भी हर पल को अपने कमरों में कैद करते नजर आए। राजस्थान में दाल-बाटी, चूरमा के अलावा भी बहुत कुछ है। वहां पहुंचने पर आप कई सारे खाने के स्टॉल देखकर दंग रह जाएंगे, जो स्वादिष्ट प्रामाणिक राजस्थानी व्यंजन पेश करते हैं। हमारा सुझाव है कि आप गट्टे की सब्जी और कचौरी का स्वाद लेना न भूलें। बेशक दाल-बाटी और चूरमा को न भूलें। पुष्कर मेला खरीदारी के लिए स्वर्ग है खासकर हस्तशिल्प, चमड़े के सामान, आभूषण और वस्त्रों में रुचि रखने वालों के लिए। बाजार की दुकानें हस्तनिर्मित राजस्थानी वस्तुओं से भरी हुई हैं, जिनमें कढ़ाई वाले शॉल से लेकर चांदी के आभूषण तक शामिल हैं, जो खूबसूरत पुष्कर मेला की यादगार बन सकते हैं। यह मेला राजस्थान के प्रतिभाशाली लोक कलाकारों के लिए एक अनौपचारिक मंच है। इनमें से एक मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध पद्मश्री गुलाबो सपेरा का हैए जिन्हें चार दशक पहले राजस्थान पर्यटन विभाग की एक महिला ने पुष्कर मेले में नृत्य करते हुए देखा था और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रंग.बिरंगे परिधानों में सजे-धजे कलाकारों द्वारा राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए मंत्रमुग्ध कर देने वाले कालबेलिया नृत्य, अग्नि-श्वास के करतब और पारंपरिक संगीत प्रदर्शन आपको मिस नहीं करना चाहिए।  हर साल कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया भर में अलग ही पहचान दे दी है। मेले के समय पुष्कर में कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है। एक तरफ तो मेला देखने के लिए विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं तो दूसरी तरफ राजस्थान व आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने.अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं। मेला रेत के विशाल मैदान में लगाया जाता है। ढेर सारी कतार की कतार दुकानें, खाने-पीने के स्टाल, सर्कस, झूले और न जाने क्या.क्या। ऊंट मेला और रेगिस्तान की नजदीकी है इसलिए ऊंट तो हर तरफ देखने को मिलते ही हैं। लेकिन कालांतर में इसका स्वरूप विशाल पशु मेले का हो गया है।

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