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6 दिसंबर विवाह पंचमी को बन रहे दो शुभ योग, अच्छा जीवन साथी पाने के लिए करें उपाय

6 दिसंबर विवाह पंचमी को बन रहे दो शुभ योग, अच्छा जीवन साथी पाने के लिए करें उपाय
सीएन, हरिद्वार।
मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु जी की पूजा को समर्पित है। इस माह में शंख पूजा नदी स्नान और दान से जुड़े कार्य करने का विशेष महत्व है। इससे साधक के सुखों में वृद्धि होती हैं। हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को प्रभु श्रीराम की पूजा के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल इस तिथि पर विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस दिन राम.सीता की जोड़ी की आराधना करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। विवाह पंचमी, जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो विवाह के बंधन को पवित्र मानता है। इस वर्ष, विवाह पंचमी 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जो वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने में मदद करते हैं। विवाह पंचमी 2024 की तिथि 5 दिसंबर 2024 को दोपहर 12.49 मिनट से शुरू होकर 6 दिसंबर 2024 को दोपहर 12.07 मिनट पर समाप्त होगी। इस बार विवाह पंचमी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7 बजे से शाम 5.18 तक रहेगा, जबकि रवि योग शाम 5.18 मिनट से अगले दिन 7 दिसंबर को सुबह 7.01 मिनट तक रहेगा। इन शुभ योगों का विवाह के लिए विशेष महत्व है। इस दिन भक्तजन भगवान राम और माता सीता की पूजा विधि पूर्वक करते हैं। पूजा के लिए जातक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद, भगवान राम और माता सीता की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें पीले और लाल वस्त्र अर्पित करें। पूजा के दौरान तिलक, धूप और दीप जलाने का भी महत्व है। इस दिन विशेष रूप से रामचरितमानस का पाठ करने की परंपरा भी है, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है। जिन लोगों को विवाह में बाधा आ रही है, उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए और विधि.विधान के साथ भगवान राम और माता सीता का पूजन करना चाहिए। इस दिन अपनी मनोकामनाएं कहने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपायों से सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। इस दिन तामसिक भोजन जैसे अंडा, प्याज, लहसुन और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। शराब का सेवन भी इस शुभ दिन पर वर्जित है। इसके बजाय, भक्तजन इस दिन विशेष पूजा और अनुष्ठान करके अपने वैवाहिक जीवन को सुखद बनाते हैं। विवाह पंचमी का पर्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह समाज में विवाह के महत्व को भी दर्शाता है। इस दिन सीता.राम के मंदिरों में विशाल आयोजन होते हैं, जहां भक्तजन एकत्र होकर पूजा करते हैं। यह दिन प्रेम, समर्पण और वैवाहिक जीवन के सुखों का प्रतीक है।
विवाह पंचमी पूजा विधि
विवाह पंचमी पर पूजा करने के लिए सबसे पहले एक चौकी लें। चौकी पर लाल रंग का साफ वस्त्र बिछाएं। फिर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद राम जी को पीले और माता सीता को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। अब दीप प्रज्वलित करते हुए उनका ध्यान करें। इसके बाद राम जी और सीता माता को तिलक लगाएं और उन्हें फल.फूल नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के दौरान बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें। फिर रामचरितमानस का भी पाठ करें। अंत में सुख.समृद्धि की कामना करते हुए आरती करें।

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