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पांच साल बाद फिर कैलास मानसरोवर यात्रा होगी, चीन व भारत के विदेश मंत्रालयों के बीच हुई वार्ता

पांच साल बाद फिर कैलास मानसरोवर यात्रा होगी, चीन व भारत के विदेश मंत्रालयों के बीच हुई वार्ता
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
इस बार पांच साल बाद कैलास मानसरोवर यात्रा होगी। चीन व भारत के विदेश मंत्रालयों के बीच हुई वाता के बाद यात्रा का रास्ता साफ हो गया है। मालूम हो कि कोरोना महामारी के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा बंद हो गई थी। इस बार चीन सीमा तक सड़क मार्ग बन जाने से यात्री वाहनों के माध्यम से भारत-सीमा स्थित लिपूलेख पड़ाव पहुंचेगा। इस यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम करेगा। 12 जून से यात्रा आरम्भ होने से पहले यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। मालूम हो कि विदेश मंत्रालय द्वारा कैलास मानसरोवर यात्रा वर्ष 1980 से लिपूपास दर्रे से करवाई जाती है इसका संचालन कुमांऊ मंडल विकास निगम करता है। धार्मिक महत्व की यह कठिन पैदल यात्रा मानी जाती है इससे पहले पिथौरागढ जनपद के नारायण आश्रम से यह यात्रा पैदल आरम्भ होती थी, लेकिन अब लगभग आधा दर्जन पड़ावों में यह यात्रा नही होगी। चीन सीमा तक सड़क मार्ग बन जाने से यात्री वाहनों के माध्यम से भारत-सीमा स्थित लिपूलेख पड़ाव पहुंचेगे। माना जा रहा है कि विदेश मंत्रालय 31 मार्च को दिल्ली में कुलयात्रियों में से कुमाऊं के लिपूलेख दर्रे के लिए 1080 व सिक्किम के नाथूला दर्रें से 400 यात्रियों को कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए भेजने के लिए चयन करेगा। नौ जून से दिल्ली में होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण के लिए 100 यात्रियों की टोली बनाई जायेगी। इनमें से 60 लोगों का चयन किया जायेगा। इस तरह लिपूलेख दर्रे से 60-60 यात्रियों के 18 दल यात्रा के लिए भेजे जायेंगे।
इन रास्तों से पहुंच सकते हैं कैलाश मानसरोवर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए आपको शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट होना बहुत जरूरी है। इस यात्रा से पहले मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से बनवाना होता है। भारत और चीन के रिश्तों के बीच जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए मंजूरी दे दी है। इस यात्रा पर 2020 से रोक थी। अब हिंदू श्रद्धालु कैलाश की यात्रा कर सकेंगे। भारतीयों के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा के तीन रास्ते हैं। सबसे छोटा रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख से है। यहां से कैलाश मानसरोवर की दूरी 65 किलोमीटर है। इस यात्रा में 24 दिन का समय लग जाता है। यात्रियों की तीन दिन की दिल्ली में ट्रेनिंग भी होती है। पूरी यात्रा का खर्च 1.80 लाख रुपये है। कैलाश मानसरोवर यात्रा का दूसरा रूट सिक्किम के नाथुला होकर गुजरता है। यह रूट 802 किलोमीटर है जिसमें 21 दिन लग जाते हैं। इसके लिए भी ट्रेनिंग दिल्ली में होती है। पूरी यात्रा में 2.5 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए आपको शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट होना बहुत जरूरी है। इस यात्रा से पहले मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से बनवाना होता है। इसके अलावा पासपोर्ट, वीजा, एड्रेस प्रूफ, पासपोर्ट साइज फोटो भी होनी चाहिए।

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