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चैत्र नवरात्रि 2023 : कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त व स्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि 2023 : कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त व कलश स्थापना विधि
सीएन, प्रयागराज। 22 मार्च 2023 बुधवार को 3 शुभ योग संयोग में प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि। इसी दिन से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत नवसंवत्सर 2028 प्रारंभ होगा जिसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा ने नाम से जाना जाता है। चैत्र नवरात्रि का ये महापर्व 31 मार्च तक चलेगा। चैत्र नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त
कलश स्थापना (घटस्थापना) मुहूर्त : 22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 29 से सुबह 07 बजकर 39 तक घर स्थापना कर सकते हैं।
लाभ-उन्नति मुहूर्त : इस दिन लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 55 मिनट तक है। आप चाहें तो इस मुहूर्त में भी कलश या घट स्थापना के साथ ही पूजा आरती कर सकते हैं।
अमृत काल: पूजा के लिए सुबह 11:07 से 12:35 तक।
विजय मुहूर्त: मध्यान्ह पूजा के लिए दोपहर 02:47 से 03:35 तक।
सायाह्न सन्ध्या मुहूर्त: सन्ध्या पूजा के लिए शाम 06:50 से 08:01 तक।
तीन शुभ योग : इस बार नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल योग में हो रही है। इसके बाद ब्रह्म योग शुरू हो जाएगा। ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग भी लगेगा। इन योगों में देवी की पूजा अर्चना करना बेहद शुभकारी मानी जाती है।
शुक्ल योग : प्रात: 9 बजकर 18 मिनट तक
ब्रह्म योग : 9 बजकर 19 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगा।
इंद्र योग : ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग प्रारंभ होगा।
कलश स्थापना और पूजा विधि
22 मार्च को चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्द उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देते हुए पूजा शुरू करें। सबसे पहले पूजा स्थल के पास चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माता रानी की प्रतिमा स्थापित करें। फिर इसके बाद मां की प्रतिमा पर फूल, गंगाजल और अक्षत डालें। इसके बाद जल से भरा कलश स्थापित करें उसमें स्वास्तिक का निशान बनाएं और कलावा बांधे। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक और आम के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें. इस नारियल को कलश के ऊपर रखकर देवी दुर्गा का आवाहन करें. इसके बाद दीपक जलाकर कलश की पूजा करें।
नवरात्र में माता को इस प्रकार लगाए भोग
प्रथम दिन : ताजा मक्खन, घी, मूंग लड्डू, नारियल, मधु का लगाए भोग। 2. द्वितीय दिन : शक्कर, विजौरा नींबू, महताब, जलेबी माता को करे अर्पण। 3. तृतीय दिन : मिसरी, दूध, घी, कसेरू, लड्डू अर्पण कर निरोगता प्राप्त करे। 4. चतुर्थ दिन : गोघृत, पुआ, तिल युक्त मिष्टान्न, लड्डू देवी को अर्पण करे। 5. पांचवें दिन : पायस, केला, शक्कर, गुड़ और कसार का भाेग लगाए। 6. षष्ठ दिन : दूध, मधु, दही, माता को निवेदित कर सुंदरता प्राप्त करे। 7. सप्तम दिन : केला, गुड़, दूध, घी, पापड़ मां दुर्गा पर चढ़ाएं। 8. अष्टम दिन : मक्खन, नारियल, गौ दुग्ध माता को अर्पण करे। 9. नवम् दिन : धान लावा, दधि कूर्चि, दही, जलेबी का भोग लगाए।
