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धर्मक्षेत्र

सुर्खियों में है भारत के भगोड़े नित्यानंद का तथाकथित देश यूएसके

कैलासा के प्रतिनिधियों ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में लिया हिस्सा
सीएन, नई दिल्ली।
भारत के भगोड़े नित्यानंद का तथाकथित देश यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (यूएसके) फिलहाल सुर्खियों में है। कैलासा के प्रतिनिधियों ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में हिस्सा लिया। जिसके बाद उसे लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगीं। बलात्कार और अपहरण का आरोपी नित्यानंद 2019 में भारत से फरार हो गया और एक साल बाद अपना देश बनाने के दावे के साथ सामने आया। हालांकि कोई नहीं जानता कि उसका यह काल्पनिक देश कहां है। उसके अनुयायियों की सोशल मीडिया पर मौजूदगी है। जहां वे अपने देश में हो रहे विकास पर लगातार अपडेट पोस्ट करते रहते हैं। मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक नित्यानंद ने इक्वाडोर के तट पर एक द्वीप खरीदा है, जहां वह कैलासा स्थापित करने का दावा करता है। बहरहाल इस कैलासा का नाम तिब्बत में कैलाश पर्वत के नाम पर रखा गया है, जिसे हिंदुओं का पवित्र तीर्थ-स्थान माना जाता है। हाल ही मे मशहूर हुए इस काल्पनिक देश की वेबसाइट के मुताबिक कैलासा एक आंदोलन है। जिसकी स्थापना कनाडा, अमेरिका और दूसरे देशों के हिंदू धर्म के शैव अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा की गई है। यह सभी हिंदुओं को एक सुरक्षित पनाह देने का दावा करता है। नस्ल, लिंग, पंथ या जाति पर विचार किए गए बगैर कैलासा दुनिया भर के इच्छुक या सताए गए हिंदुओं को शरण की पेशकश करता है। जहां वे शांतिपूर्वक रह सकते हैं और अपमान, हस्तक्षेप और हिंसा से मुक्त रहकर अपनी आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति का पालन कर सकते हैं। यूएसके अपना एक झंडा, एक संविधान, एक आर्थिक प्रणाली, एक पासपोर्ट और एक प्रतीक भी होने का दावा करता है। जैसा कि इसकी वेबसाइट पर बताया गया है, हर दूसरे देश की तरह कैलासा में भी ट्रेजरी, कॉमर्स, सॉवरेन, हाउसिंग, ह्यूमन सर्विसेज जैसे कई विभाग हैं। बहरहाल संयुक्त राष्ट्र संघ ने कैलासा को मान्यता नहीं दिया है। संयुक्त राष्ट्र की एक सभा होती है। इस सभा में विजयप्रिया नित्यानंद नाम की एक महिला भी अपनी बात रखती है। 1933 के मोंटेवीडियो सम्मेलन के मुताबिक एक क्षेत्र को देश कहलाने के लिए इसमें एक स्थायी आबादी, एक सरकार और अन्य देशों के साथ संबंध रखने की क्षमता होनी चाहिए। अगर किसी क्षेत्र ने देश का दर्जा हासिल नहीं किया है, तो उसे माइक्रो नेशन कहा जा सकता है। ये ऐसी स्व-घोषित संस्थाएं हैं, जो स्वतंत्र संप्रभु राज्य होने का दावा करती हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय या संयुक्त राष्ट्र ने इनको मान्यता हासिल नहीं हैं। इस समय दुनिया में लगभग 80 माइक्रोनेशन हैं। कैलासा की तुलना 1980 के दशक में ओरेगॉन में एक अन्य भारतीय आध्यात्मिक गुरु रजनीश के बनाए रजनीशपुरम नामक शहर से की जा सकती है। जिसकी अपनी पुलिस, दमकल विभाग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम था।
नित्यानंद का कैलासा : संयुक्त राष्ट्र ने कहा काल्पनिक
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें एक भगोड़े भारतीय गुरु की प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में भाषण दे रही हैं। ये प्रतिनिधि स्वयं को कैलासा नाम के एक काल्पनिक देश का प्रतिनिधि बताती हैं। अब संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले में अपना पक्ष सामने रखा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वो जिनेवा में हुए उसके दो कार्यक्रमों में एक भगोड़े भारतीय गुरु के काल्पनिक देश के प्रतिनिधि की बातों को नज़रअंदाज़ करेगा। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने कहा है कि जिन विषयों पर बैठक में चर्चा हो रही थी उसके हिसाब से प्रतिनिधि का भाषण अप्रासंगिक था। यूएन की मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त विवियन क्वॉक ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की ये आम बैठकें होती हैं जिनमें कोई भी व्यक्ति अपने विचार रख सकता है। विवियन क्वॉक ने कहा कि यूएसके के प्रतिनिधि के विचारों को अंतिम रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जाएगा क्योंकि जिस विषय पर बैठक हो रही थी उसके अनुसार उनके विचार अप्रासंगिक थे। अंतिम रिपोर्ट का हिस्सा नहीं होंगे। जिनीवा में 24 फरवरी को हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक की एक तस्वीर ने हाल ही में सबका ध्यान खींचा। इस बैठक में गहनों से लदी, विशाल जटाधारी एक महिला हेडफोन लगाए नजर आ रही थीं। इस महिला की तस्वीर जिस शख्स ने ट्वीट की वह भारत में रेप के आरोपों में घिरा नित्यानंद है, जो एक काल्पनिक देश कैलासा बनाने की घोषणा कर चुका है। यह महिला उसी देश की प्रतिनिधि के रूप में बैठक में हिस्सा ले रही थी। महिला ने इस बैठक में नित्यानंद को परेशान किए जाने के आरोप लगाए जिस पर अब यूएन ने कहा है कि वह एक काल्पनिक देश के बयान को नजरअंदाज करेगा।

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