धर्मक्षेत्र
जगन्नाथ रथ यात्रा आज 12.52 बजे निकलेगी, मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान जारी, राष्ट्रपति व पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
जगन्नाथ रथ यात्रा आज 12.52 बजे निकलेगी, मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान जारी, राष्ट्रपति व पीएम मोदी ने दीं शुभकामनाएं
सीएन, पुरी। ओडिशा के पुरी शहर में हर साल होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा को दुनिया भर के लोग बहुत श्रद्धा और उत्साह से देखते हैं। इस साल यह यात्रा 27 जून यानी आज से शुरू होकर 8 जुलाई तक चलेगी। आज दोपहर 12.52 बजे रथ यात्रा शुरू होगी। मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान जारी है।रथ यात्रा से एक दिन पहले हजारों की संख्या में भक्तों ने मंदिर के सिंह द्वार पर पहुंचकर रत्न बेदी गर्भगृह में पवित्र मंच पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के नबाजौबन दर्शन युवा रूप किए। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह रथ यात्रा कुल 12 दिनों तक चलेगी और इसका समापन 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ होगा जब भगवान पुनः अपने मूल मंदिर में लौटेंगे। हालांकि रथ यात्रा का आयोजन 12 दिनों का होता हैए इसकी तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। इस रथ यात्रा के दौरान कई धार्मिक रस्में, अनुष्ठान और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विशाल रथों पर सवार होकर पुरी के मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक जाएंगे। यह यात्रा 12 दिन तक चलती है और हर दिन का खास महत्व होता है। इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 27 जून को है। इसी दिन रथ यात्रा की शुरुआत होगी। पंचांग के अनुसार आज का शुभ समय दोपहर 11.56 से 12.52 तक है, जिसे अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है। इसी समय भगवान की यात्रा शुरू होती है।
रथ यात्रा के पहले दिन पुरी के राजा खुद छेरा पन्हारा रस्म निभाते हैं जिसमें वे सोने के झाड़ू से रथ के नीचे का हिस्सा साफ करते हैं। यह विनम्रता और सेवा भाव का प्रतीक माना जाता है। हेरा पंचमी के दिन देवी लक्ष्मी गुंडिचा मंदिर जाकर नाराज़गी जताती हैं कि भगवान उन्हें छोड़कर क्यों चले आए। यह आयोजन पूरी यात्रा को और भी रोचक बना देता है। बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि भगवान के इन तीनों रथों को खींचने वाली रस्सियों के भी अपने नाम होते हैं। भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले रथ को नंदीघोष कहा जाता है। इस रथ की रस्सी का नाम है शंखचूड़ नाड़ी। बलभद्र जी का रथ जिसमें 14 पहिए होते हैं उसे तालध्वज कहा जाता है और उसकी रस्सी को वासुकी नाम से जाना जाता है। देवी सुभद्रा का रथ, जिसमें 12 पहिए होते हैं और जिसे दर्पदलन कहा जाता है, उसकी रस्सी का नाम है स्वर्णाचूड़ा नाड़ी। ये रस्सियां न सिर्फ रथ को खींचने का माध्यम होती हैं। बल्कि इन्हें छूना भी बहुत बड़ा सौभाग्य माना जाता है। पुरी की रथ यात्रा की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। कोई भी व्यक्ति, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या देश का हो, रथ खींच सकता है। शर्त बस इतनी है कि उसका मन सच्चे भाव से भरा हो। मान्यता है कि रथ की रस्सी खींचने वाला व्यक्ति जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाकर मोक्ष की ओर बढ़ता है। हालांकि कोई भी एक व्यक्ति ज्यादा देर तक रथ नहीं खींच सकताण् ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर आने वाले श्रद्धालु को यह अवसर मिल सके और अगर कोई रथ न भी खींच पाए तो भी चिंता की बात नहीं, क्योंकि इस यात्रा में सच्चे मन से शामिल होना भी हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, एक दिन भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की इच्छा जताई। तब जगन्नाथ और बलभद्र ने उन्हें रथ पर बिठाकर नगर भ्रमण करवाया। इस दौरान वे अपनी मौसी गुंडिचा के घर भी गए और वहां सात दिन ठहरे। तभी से इस यात्रा की परंपरा शुरू हुई। आज भी यही यात्रा रथों के माध्यम से मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक होती है।
राष्ट्रपति व पीएम मोदी ने दीं जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देशवासियों को जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि पवित्र रथ यात्रा के अवसर पर मैं देश.विदेश में रह रहे महाप्रभु जगन्नाथ के भक्तों को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। रथ पर विराजमान बड़े ठाकुर बलभद्र, महाप्रभु श्री जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और चक्रराज सुदर्शन के दर्शन करके लाखों भक्त दिव्य अनुभूति प्राप्त करते हैं। इन ईश्वरीय स्वरूपों की मानवीय लीला ही रथ यात्रा की विशेषता है। इस पुण्य अवसर पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ से मेरी यह प्रार्थना है कि पूरे विश्व में शांति मैत्री और स्नेह का वातावरण रहे। पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को मेरी ढेरों शुभकामनाएं। श्रद्धा और भक्ति का यह पावन उत्सव हर किसी के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए यही कामना है। जय जगन्नाथ!
