धर्मक्षेत्र
महाशिवरात्रि : नैनीताल के गुफा महादेव मंदिर में लगता है शिव भक्तों का जमावड़ा
गुफा महादेव में लिंग में अनवरत बहती जल धारा करती है जलाभिषेक
अपनी खास विशेषता के लिए जाना जाता है नैनीताल का प्राचीन गुफा महादेव मंदिर
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। विशेष आयोजनों दौरान हिमालय क्षेत्र के शिवधामों की महत्ता बढ़ जाती है। नैनीताल के गुफा महादेव मंदिर में भी शिवरात्रि व श्रावणी मास में शिव भक्तों का जमावड़ा लग जाता है। मान्यता है कि गुफा महादेव मंदिर में शिव साक्षात विराजते है। उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊं में शिव लिंगों की पूजा की जाती है। नैनीताल के एक मात्र मान्यता प्राप्त गुफा महादेव मंदिर को शिवभक्त गुफाओं में स्थित शिव की तरह मान्यता देते है। उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल के कृष्णापुर क्षेत्र में प्राचीन गुफा महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है। मान्यता है कि यह शिवलिंग अपने आप धरती से प्रकट हुई थी। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों की काफी भीड़ होती है। मान्यता है कि इस दिन स्वयंभू शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। शिवरात्रि को यहां शहर के ही नही बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी काफी संख्या में पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है। त्रिऋषि सरोवर के नाम से पुराणों में अंकित नैनीताल में स्थित प्राचीन गुफा महादेव मंदिर भी अपनी खास विशेषता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की गुफा में स्थित शिवलिंग में अनवरत बहती जलधारा जलाभिषेक करती है। इस प्राकृतिक रूप को देख श्रद्धालु आकंठ आत्मविभोर हो उठते है। इस दौरान श्रद्धालु महादेव में लीन होकर पूजा करते है। महा शिवरात्रि पर्व के लिए मंदिर में जोरदार तैयारी की गई है। आज बुधवार को महाशिवरात्रि को महादेव मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना का क्रम शुरू हो जायेगा।
प्रथम बार 1892 में स्व. कृष्णा साह ने की मंदिर में पूजा
नैनीताल। गुफा महादेव मंदिर का अस्तित्व आदिकाल से रहा होगा। मौजूदा इतिहास के मुताबिक नैनीताल वीरभट्टी मार्ग में स्थित कृष्णापुर स्टेट के मालिक स्व. कृष्णा साह को 1892 में स्वप्न में भान हुआ कि उनकी स्टेट के निकट शिव अदृश्य होकर ध्यान मग्न है। उन्हें यह भी आभास हुआ कि शिव सैकड़ों वर्षो से तपस्या कर रहे है। स्वप्न में बताये गये स्थान में जब उन्होंने खुदाई की तो लगभग 12 फीट गहरी गुफा में तीन शिवलिंग देखे गए। जिनके ऊपर जलधारा अनावरत जलाभिषेक कर रही है। इसके बाद कृष्णा साह ने यहां मंदिर की स्थापना की। लिंगो में अनवरत जलाभिषेक का प्राकृतिक दृश्य आज भी दृष्टिगोचर होता है। इस मंदिर के दर्शन को पूरे साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन श्रावण मास को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। गुफा इतनी सकरी है कि गर्भ गृह में पूजा के लिए एक बार एक ही भक्त जा सकता है।
साधना को विशिष्ट रूप से प्रसिद्ध रहा है गुफा महादेव
नैनीताल। कश्मीर के अमरनाथ गुफा की तरह नैनीताल का गुफा महादेव मंदिर साधना के लिए भी विशिष्ट रूप से प्रसिद्ध रहा है। यहां शिव को महायोगी व मतयनाथ के रूप में भी पूजा जाता है। सन् 1934-35 में नेपाल जनकपुर से आये ब्रह्मचारी महाराज ने साधना की थी। उसके बाद उनके शिष्य हीरानंद ने भी इस मंदिर में साधना की थी। इनका धनौरा मुरादाबाद में भव्य मंदिर है। इसके अलावा मोहनगिरी महाराज, गिरी महाराज ने भी इसी स्थान पर साधना की थी। आज भी यहां कई साधु साधना के लिए पहुंचते हैं।
लड़ियांकांटा पहाड़ी के जाबर महादेव का मंदिर के भी करें दर्शन
नैनीताल: जाबर महादेव का मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में भवाली नगर के समीप सेनेटोरियम में लड़ियांकांटा की पहाड़ी की तलहटी पर स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के निर्माण का प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 50 साल से भी पुराना हैण् यहां पहुंचने के लिए नैनीताल भवाली मोटर मार्ग पर स्थित सेनिटोरियम गेट से पहाड़ी पर लगभग 2 किलोमीटर चलना पड़ता है। इस मंदिर की खास बात यहां है कि यहां स्थित शिवलिंग जमीन से प्रकट हुई है। यहां 18 फीट लंबा त्रिशूल भी स्थापित है और शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में काफी भक्तों की काफी भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि को जाबर जाकर महादेव का आर्शिवाद जरूर लें।
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