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5 या 6 अप्रैल कब है चैत्र पूर्णिमा, पूजा विधि, महत्व और उपाय
5 या 6 अप्रैल कब है चैत्र पूर्णिमा, पूजा विधि, महत्व और उपाय
सीएन, प्रयागराज। चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता हैं, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है, बता दें कि चैत्र हिन्दू नव वर्ष का पहला महीना होता है. मान्यता है चैत्र पूर्णिमा के दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र पूर्णिमा 05 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 19 मिनट पर शुरू होकर 6 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा स्नान 06 अप्रैल को किया जाएगा.
मां लक्ष्मी की पूजा का समय – प्रात: 12.01 – प्रात: 12.46 (6 अप्रैल 2023)
चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा व्रत वाले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में भगवान सत्यनारायण का पूजन और कथा करें.
कथा के बाद ब्राह्मण भोजन जरुर कराएं, इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है.
पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
स्नान-पूजन के बाद जरुरतमंदों को जल से भरा कलश, मिट्टी की सुराई, चावल, छाता दान करें.
पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी का अवतरण दिवस मानी जाती है.
चैत्र पूर्णिमा की मध्यरात्रि महालक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। का 108 बार जाप करना करना चाहिए.
