धर्मक्षेत्र
25 फरवरी को है स्कंद षष्ठी : सभी कष्टों से मुक्ति के लिए करें पूजा
25 फरवरी को है स्कंद षष्ठी : सभी कष्टों से मुक्ति के लिए करें पूजा
सीएन, प्रयागराज। स्कंद षष्ठी का व्रत भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार को समर्पित है। स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस दिन किस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। फाल्गुन 2023 माह में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन शनिवार 25 फरवरी को किया जाएगा। फाल्गुन शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 25 फरवरी रात 12:31 पर होगी और इसका समापन 26 फरवरी रात 12:20 पर होगा। धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु ग्रंथों के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य में अगर पंचमी तिथि समाप्त होती हो तो रखा जाता है। इसके अलावा यदि षष्ठी तिथि आरंभ हो रही हो तब भी इस व्रत को रखा जाता है। षष्ठी तिथि का पंचमी तिथि के साथ मिलना स्कंद षष्ठी व्रत के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। यही कारण से कई बार स्कंद षष्ठी का व्रत पंचमी तिथि को भी रखा जाता है। स्कंद कुमार की पूजा करने से साहस, पराक्रम, बल, दीर्घायु संतान, शत्रुओं पर विजय आदि की प्राप्ति होती है। स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है। इस व्रत के पुण्य फल ये प्रियव्रत का मृत शिशु फिर से जीवित हो उठा था। इस दिन जो व्यक्ति भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है और सच्चे मन से उनकी उपासना करता है। उनके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इसके अलावा इस दिन संतान की सलामती के लिए व्रत रखी जाती है। सबसे पहले स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें। उसके बाद भगवान कार्तिकेय का ध्यान रखते हुए व्रत रखें। वहीं पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अवश्य करें। उसके बाद भगवान कार्तिकेय को फूल, फल, मेवा, सिंदूर, अक्षत,सिंदूर चढ़ाएं और भगवान कार्तिकेय के सामने घी की दीपक जलाएं।
इस मंत्र का करें 108 बार जाप
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव.
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:।
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