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मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान कर दान करने से तृप्त होती है पितरों की आत्मा

मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में स्नान कर दान करने से तृप्त होती है पितरों की आत्मा
सीएन, प्रयागराज
। मौनी अमावस्या तिथि 29 जनवरी को मनाई जाएगी। प्रयागराज में मौनी अमावस्या से पहले संगम में स्नान के लिए देश-विदेश से तीर्थयात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है। 29 जनवरी को अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की उम्मीद है। हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन अगर विधि-विधान से पूजा कर, नदी में स्नान करके दान आदि करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं। विशेष रूप से माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बहुत विशेष मानी जाती है, इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है अगर कोई नदियों में स्नान करने नहीं जा पा रहा, तो उसे इस दिन गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को रात 7.35 पर होगी और इसका समापन 29 जनवरी 2025 को शाम 6.05 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 29 जनवरी के दिन ही मौनी अमावस्या मनेगी। गंगा नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। इस समय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 साल के बाद महाकुंभ भी लगा है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में स्नान करके पापों से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसे में शहर से सैकड़ों की संख्या में लोग कुंभ में स्नान करने जाएंगे। वहीं हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व होता है। व्रत, त्योहार और पूर्णिमा.अमावस्या तिथि पर दान करने का महत्व और भी बढ़ जाता है। मौनी अमावस्या तिथि पर अगर आपके घर कोई कुछ मांगने आए तो उसे दान.दक्षिणा अवश्य देना चाहिए। वहीं अमावस्या तिथि पितरों को तर्पण और इनका आशीर्वाद पाने के लिए सबसे उत्तम तिथि मानी जाती है। मौनी अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए काले तिल से तर्पण करना चाहिए। मौनी अमावस्या पर शहर के श्रीजी मंदिर, श्रीकृष्ण, श्रीराम मंदिरों सहित अन्य मंदिरों में पूजा.अर्चना की जाएगी। इसके लिए मंदिर समितियों व ट्रस्टों के पदाधिकारी व सदस्य तैयारियां कर रहे हैं। मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं के बैठने व पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है। मंदिर समितियों ने जरूरतमंदों को गर्म कपड़े दान करने की भी तैयारी की है। अमावस्या पर संगम समेत सभी पवित्र नदियों के जल में भगवान विष्णु का वास होता है। इस बार तीर्थराज प्रयागराज में 144 वर्ष बाद बहुत ही शुभ योग में महाकुंभ चल रहा है। मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान और सूर्यदेव को जल अर्पित करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। जो लोग किसी कारणवश मौनी अमावस्या पर संगम के पवित्र नदी में न कर पाए तो इस दिन स्नान करते समय नहाने की बाल्टी में गंगाजल जरूर डालें। मौनी अमावस्या स्नान से पहले श्रद्धालु अलग-अलग राज्यों से प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्लेटफार्मों और प्रवेश द्वार पर रेलवे प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इतना ही नहीं, प्रशासन द्वारा तीसरे अमृत को देखते हुए भीड़ को संभालने के लिए यातायात व्यवस्था को भी चाक-चौबंद किया गया है।

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