धर्मक्षेत्र
27 सितंबर को है बुध प्रदोष व्रत: सुख.शांति व समृद्धि से भरता है भक्तों का घर
27 सितंबर को है बुध प्रदोष व्रत: सुख.शांति व समृद्धि से भरता है भक्तों का घर
सीएन, हरिद्वार। हर माह में दो त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का घर सुख.शांति व समृद्धि से भर देते हैं। साथ ही जो व्यक्ति नियम और निष्ठा से प्रत्येक प्रदोष का व्रत रखता है उसके कष्टों का नाश होता है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोले शंकर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। इस समय भाद्रपद माह चल रहा है और इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023 दिन बुधवार को है। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर 2023 को प्रातरू 01 बजकर 45 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 27 सितंबर को ही रात 10 बजकर 18 मिनट पर होगा। इस दिन शिव पूजा के लिए उत्तम समय 27 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 36 मिनट तक है। बुध प्रदोष व्रत वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद शिव जी को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं। महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और बुध प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। फिर घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें। इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें। इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।