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नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, स्कंद माता वात्सल्य की मूर्ति

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा, स्कंद माता वात्सल्य की मूर्ति
सीएन, प्रयागराज।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। यह दिन इस बार नवरात्रि 2023 में चैत्र नवरात्रि में 26 मार्च और शारदीय नवरात्रि में 19 अक्टूबर 2023 को इनकी पूजा की जाएगी। देवी स्कंद माता वात्सल्य की मूर्ति है। दरअसल माता के इस रूप से साधक यह विचार कर सकते हैं कि उन्हें किसी तरह की हानि कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंचा सकता है, अन्यथा मां क्रोध में आकर अपने साधक, भक्त या पुत्र को नुकसान पहुंचाने वाले का सर्वस्व मिटा सकती है। जब इंद्र कार्तिकेय को परेशान कर रहे थे, तब मां ने उग्र रूप धारण कर लिया। चार भुजा और शेर पर सवार मां प्रकट हुई। मां ने कार्तिकेय को गोद में उठा लिया। इसके बाद इंद्र आदि देवताओं ने मां की स्कंदमाता के रूप में आराधना की।
संतान सुख देती है स्कंदमाता
स्कंद माता की आराधना करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन लाल चुनरी, पांच तरह के फल, सुहाग का सामान आदि से धान/ चावल से मां की गोद भरनी चाहिए। इससे मां खुश होती है और भक्तों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है।
बच्चे खुश तो मां खुश
स्कंद माता की कृपा तभी प्राप्त होती है, जब उनके भक्तों को नहीं सताया जाए। अनावश्यक मां के भक्तों को परेशान करने वालों से मां नाराज हो जाती है। इस दिन कार्तिकेय की पूजा का भी विधान है। लोगों को चाहिए कार्तिकेय की पूजा के बाद मां की पूजा करें और पांच कन्याओं के साथ छोटे बालकों को भी खीर का प्रसाद खिलाएं।
इस मंत्र से करें मां की पूजा-
सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
 इसके बाद इस मंत्र का जाप करना सुखद होता है।
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां स्कंदमाता को प्रसन्न करके मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञान प्राप्त कर सकता है
भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। पुराणों में स्कंद को कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। देवी स्कन्दमाता की तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। स्कंदमाता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं जबकि मां का चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे होता है। ऐसा कहा जाता है कि मां स्कंदमाता की पूजा करने से, मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी या बुद्धिमान बन सकता है। जीवनमें परिवर्तन पाने के लिए आज ही मेरु पृष्ठ श्री यन्त्र ख़रीदे। स्कंदमाता का ध्यान मंत्र – ॐ ह्रीं सः स्कंदमात्रये नमः, इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
मां स्कंदमाता अपने अमोघ भक्तों को मुक्ति प्रदान करती है
नवरात्रि के पांचवें दिन, भक्त का मन विशुद्धा चक्र तक पहुंच जाता है और इसी में रहता है। इस स्थिति में, भक्त का मन अत्यधिक शांत रहता है। स्कंदमाता  की पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके अलावा ये भक्त के लिए मुक्ति का रास्ता खोलती है और सूर्य की भांति अपने भक्तों को असाधारण तेज और चमक प्रदान करती है।

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