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23 फरवरी को दोपहर में 1 बजकर 56 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ : एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है मोक्ष

23 फरवरी को दोपहर में 1 बजकर 56 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ : एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है मोक्ष
सीएन, हरिद्वार। फाल्गुन मास में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। विजया एकादशी का विशेष महत्व स्कंद पुराण में भी बताया गया है। इस व्रत को भगवान राम के साथ साथ भगवान लक्ष्मण ने भी किया था। विजया एकादशी का व्रत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साल भर में आने वाली सभी एकादशी का अलग.अलग महत्व होता है। विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को विजय की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इस एकादशी का क्या महत्व है। विजया एकादशी तिथि का आरंभ 23 फरवरी को दोपहर में 1 बजकर 56 मिनट पर एकादशी तिथि का आरंभ। 24 तारीख को एकादशी तिथि 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में एकादशी तिथि 24 तारीख को होने के कारण विजया एकादशा का व्रत 24 तारीख को ही रखा जाएगा। विजया एकादशी व्रत का पारण समय 25 तारीख में सुबह 6 बजकर 52 मिनट से 9 बजकर 8 मिनट तक। वहीं, आप चाहे तो दोपहर में 12 बजकर 45 मिनट तक भी पारण कर सकते हैं। क्योंकि इस समय तक द्वादशी तिथि रहेगी। स्कंद पुराण के अनुसार विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को विजय प्राप्त होती है। भगवान राम ने भी विजया एकादशी का व्रत किया था। जब भगवान राम कपि दल के सहित सिन्धु तट पर पहुंचे तो रास्ता रुक गया। समीप में दालभ्य मुनि का आश्रम था जिन्होंने अनेकों ब्रह्मा अपनी आंखों से देखे थे। ऐसे चिरंजीव मुनि के दर्शनार्थ, सेना सहित, दंडवत करके समुद्र से पार होने का उपाय पूछा.मुनि बोले, कल विजया एकादशी है। उसका व्रत आप सेना सहित करो। समुद्र से पार होने का तथा लंका पर विजय पाने का सुगम उपाय यही है। इस व्रत को भगवान राम और भगवान लक्ष्मण के साथ उनकी सेना ने भी किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी।

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