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जोधपुर के भूतेश्वर वन खंड में स्थित हैं 400 साल पुराना शिवालय, हमेशा जागृत रहते हैं महादेव

जोधपुर के भूतेश्वर वन खंड में स्थित हैं 400 साल पुराना शिवालय, हमेशा जागृत रहते हैं महादेव
सीएन, जोधपुर।
चांदपोल के बाहर भूतेश्वर वन खण्ड की पहाडिय़ों पर करीब 400 साल प्राचीन शिवालय जागनाथ महादेव का जैसा नाम है वैसा ही उनका स्वरूप भी है। भक्तों की मन इच्छा पूरी करने के लिए हमेशा जाग्रत अवस्था में विद्यमान हैं। मान्यता है कि यहां प्राचीन स्वयंभू भूतेश्वर महादेव विराजित हैं, जिसे बोलचाल की भाषा में भूतनाथ महादेव भी कहा जाता है। शहर के सिवांची गेट श्मशान के बीच स्थित इस मंदिर में सावन मास में भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्तों की मन इच्छा पूरी करने के लिए हमेशा जाग्रत अवस्था में विद्यमान हैं। श्रावण मास में नियमित दूध, ऋतुपुष्पों, इत्र, विजया, सूखा मेवा, ऋतु फलों से अभिषेक और शृंगार किया जाता है। प्राचीन मंदिर का कोई ट्रस्ट नहीं है। जोधपुर का यह क्षेत्र पहाड़ियों से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले जब इस वन क्षेत्र में भूत ऋषि रहते थे। वे इसी क्षेत्र में अपनी तपस्या करते थे। एक दिन पहाड़ों में विचरण करते हुए उनको इस स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन हुए थे। इसके बाद भूत ऋषि ने शिवलिंग का जलाभिषेक प्रारम्भ किया। यहीं पर वे अपनी तपस्या करने लगे। शिवलिंग की पूजा अर्चना प्रतिदिन शुरू कर दी। जिसके बाद धीरे.धीरे यह मंदिर में परिवर्तित हो गया प्रसिद्धि बढ़ने लगी। ऋषि भूत के नाम से ही यह भूतनाथ महादेव के नाम से जाना जाने लगा। लगातार भक्तों का आना जाना शुरू हो गया। ऋषि भूत खुद शंकरानी बोहरा थे, इसलिए बोहरा परिवार यहां पूजा-अर्चना करता है। दिर से महादेव के भक्तों ने भोलेनाथ की साधना आराधना के साथ महादेव चरित्र गंगाधर को खुद में उतारा और प्रकृति पर्यावरण की समृद्धि के लिए महादेव के अभिषेक और मंदिर प्रांगण में एकत्रित वर्षा जल का सदुपयोग कर मंदिर परिसर में एक हजार से अधिक पेड़ पौधों की विशाल बगिया महका कर अनूठा उदाहरण भी पेश किया है।
मंदिर परिसर में पेड़-पौधों की विशाल शृंखला प्रकृति का आभास कराती है। राजेन्द्र वल्लभ व्यास ने बताया कि मंदिर में दशकों से अखंड ज्योत प्रज्वलित है। श्रावण मास में नियमित अभिषेक पं. सुरेन्द्र मुथा, एजी पुरोहित, उदयकिशन व्यास के संयोजन में और श्रृंगार मनीष पुरोहित की देखरेख में किया जाता है। सूर्यनगरी के लोगों की आस्था का प्रतीक बने भूतनाथ महादेव मंदिर परिसर के सरोवर में दक्षिणामुखी महामृत्युंजय मूर्ति स्थापित है, जो और कहीं नहीं है। जबकि मुख्य मंदिर गर्भगृह के अतिरिक्त दो कक्ष में शिव पार्वती, गणेश, नंदी, सरस्वती, राधाकृष्ण, उष्ट्रवाहिनी, हनुमान आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं मुख्य मंदिर के पास ही अगस्त्य ऋषि व कुबेर की प्रतिमा भी स्थापित हैं।

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