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वेश्यालय के आंगन की मिट्टी भीख में मांग कर बनाते है मां दुर्गा की प्रतिमा

वेश्यालय के आंगन की मिट्टी भीख में मांग कर बनाते है मां दुर्गा की प्रतिमा
सीएन, कोलकाता।
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है और 12 अक्टूबर 2024 को विजयादशमी के साथ इस पर्व का समापन होगा। शारदीय नवरात्रि के 9 दिन आदिशक्ति मां भगवती की पूजा के लिए समर्पित होते हैं। इसलिए इसे दुर्गा पूजा भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान मंदिर, बड़े.बड़े पूजा पंडाल और घर-घर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूरे 9 दिन भक्ति.भाव से पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्गा जो मूर्ति बनाई जाती है, उसमें वेश्यालय के आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार वेश्यालय जाकर वेश्याओं से भीख में मांग कर उनके आंगन की मिट्टी लाते हैं। वेश्याओं से एक मूर्तिकार तब तक भीख मांगता है जब तक कि उसे मिट्टी नहीं मिल जाती है। प्राचीन काल में इस प्रथा का हिस्सा मंदिर का पुजारी होता था, समय बदला पुजारी के अलावा मूर्तिकार भी वेश्यालय से मिट्टी लाने लगे। इसके अलावा एक कहानी यह भी है कि एक वेश्या मां दुर्गा की भक्त थी, जिसका समाज में तिरस्कार होता था। वेश्या को तिरस्कार से बचाने के लिए दुर्गा मां ने उसे वरदान दिया कि उसके आंगन की मिट्टी के इस्तेमाल के बिना दुर्गा की मूर्ति पवित्र नहीं मानी जाएगी। एक अन्य कथा के अनुसार एक बार कुछ वेश्या गंगा स्नान के लिए जा रही थी तो गंगा किनारे बैठे एक कुष्ठ रोगी लोगों से गंगा स्नान कराने का अनुरोध कर रहा था। लोग उसकी बातों को अनसुना कर रहे थे। इस पर उन वेश्याओं को कुष्ठ रोगी पर दया आई और उन्होंने उस रोगी को गंगा स्नान कराया। यह कुष्ठ रोगी कोई और नही वरन वह खुद शिव थे। शिवजी ने उन वेश्याओं को वरदान दिया कि आज से उनके आंगन की मिट्टी से बनी दुर्गा प्रतिमा ही पवित्र मानी जायेंगी। वेश्यालय की मिट्टी को भावनाओं और संवेदनाओं का प्रतीक माना जाता है। इस प्रथा का एक बड़ा उद्देश्य सामाजिक जागरूकता और सम्मान को बढ़ावा देना है। वेश्यालय में काम करने वाली महिलाओं के प्रति समाज में अक्सर भेदभाव और अवहेलना का सामना करना पड़ता है। वेश्यालय की मिट्टी को पवित्र और शुद्ध माना जाता है क्योंकि यहां रहने वाली महिलाएं अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करती हैं और फिर भी वे अपनी पवित्रता और शुद्धता को बनाए रखती हैं। इसके अलावा मिट्टी को दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना जाता हैए जो समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ती हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को भी जोड़ता है। वेश्यालय की मिट्टी का उपयोग करके बनाई गई प्रतिमाएं न केवल भव्य होती हैं, बल्कि इनमें एक विशेष आत्मा भी होती है। बता दें कि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जब वेश्यालय की मिट्टी को देवी की प्रतिमा बनाने के लिए उपयोग किया जाता था। 

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