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नए नागा साधुओं का वो फैसला जिसने बचा लीं कई जानें, संगम पर भगदड़

नए नागा साधुओं का वो फैसला जिसने बचा लीं कई जानें, संगम पर भगदड़
सीएन, प्रयागराज।
महाकुंभ भगदड़ 2025 मौनी अमावस्या स्नान का पौराणिक महत्व रहा है। एक महाकुंभ में संन्यासी के रूप में दीक्षा लेने वाले साधु 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद दूसरे महाकुंभ की मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करते हैं और पूर्ण नागा साधु बनने की उनकी दीक्षा पूरी हो जाती है। 29 जनवरी 2025 को भी अखाड़ों की यही तैयारी थी। मौनी अमावस्या पर भगदड़ के बाद अमृत स्नान के लिए निकल चुके थे रास्ते में ही उन्हें भगदड़ की सूचना मिली जिस पर नव प्रवेशी नागा साधुओं ने अमृत स्नान न करने का निर्णय लिया। दरअसल भगदड़ की सूचना मिलते ही अखाड़ों ने जो अमृत स्नान न करने का फैसला किया, उसका श्रेय असल में नव प्रवेशी नागा साधुओं को ही जाता है। 12 साल से ये नव प्रवेशी नागा साधु तपस्या कर रहे हैं और इनकी दीक्षा पूरी होने में सिर्फ एक पवित्र स्नान ही बाकी था। लेकिन ऐन वक्त भगदड़ की सूचना आई और रास्ते से ही इन्होंने वापस छावनी में लौटने का फैसला किया। महानिर्वाणी अखाड़े के महासचिव महंत जमुना पुरी ने बताया मेरे अखाड़े के नव.प्रवेशी नागा साधुओं की ओर से पीछे हटने का यह एक परिपक्व निर्णय था। हालांकि हम सुबह 4 बजे के आसपास पांटून पुल संख्या.7 को पार कर चुके थे और पूरे उत्साह और भव्यता के साथ संगम नोज की ओर बढ़ रहे थे। उन्होंने कहा जब उन्होंने भगदड़ और जान.माल के नुकसान और श्रद्धालुओं के घायल होने के बारे में सुनाए तो उन्हें दुख हुआ और उन्होंने तुरंत फैसला किया कि वे 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर अगले अमृत स्नान तक इंतजार करेंगे। वे निराश थे क्योंकि उन्होंने नागा साधु बनने के लिए लंबी तपस्या की थी और मौनी अमावस्या पर पवित्र स्नान के बाद उनकी दीक्षा पूरी होनी थी। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर शैलाशानंद गिरि ने कहा, वास्तव में, नव.प्रवेशी नागा साधुओं, जिन्हें एक जिद्दी योद्धा समूह माना जाता है, का मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने का अवसर छोड़ना एक नेक काम था क्योंकि वे पिछले 12 वर्षों से इस दिन और क्षण का इंतजार कर रहे थे। पिछले महाकुंभ 2013 में, उन्हें संन्यासी के रूप में दीक्षा दी गई थी। अब उनमें से कई प्रक्रिया को पूरा करने के लिए तीसरे अमृत स्नान का इंतजार करेंगे। जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक हरि गिरि ने कहा हमारे अखाड़े में हम केवल कुछ सौ नागा साधुओं लगभग 250 के साथ गए थे और उनमें से लगभग आधे नए शामिल किए गए थे। जबकि बाकी लोग अगला अमृत स्नान करेंगे और फिर अपनी प्रवेश प्रक्रिया पूरी करेंगे। निर्मोही अनी अखाड़े के राजेंद्र दास ने कहा संगम में डुबकी लगाने वालों का प्रवेश पूरा हो गया है और जो लोग पीछे रह गए थे, उनमें से कुछ ने अन्य घाटों पर गंगा में डुबकी लगाई और उन्हें भी पूर्ण नागा साधु बनने का सौभाग्य मिला।

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