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खत्म हुआ मलमास, आज18 अगस्त से शुरू होगा श्रावण का दूसरा पक्ष

खत्म हुआ मलमास, आज18 अगस्त से शुरू होगा श्रावण का दूसरा पक्ष
सीएन, हरिद्वार।
कल 17 अगस्त को अधिकमास यानी मलमास 2023 का समापन हो गया है। 18 अगस्त को संक्रांति के बाद श्रावण मास का दूसरा पक्ष शुरू हो गया है, जो 31 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ समाप्त हो जाएगा। दूसरे पक्ष के सावन में 21 और 28 को सावन का व्रत रख जाएगा। दूसरे पक्ष के सावन में कई त्योहार पड़ने वाले हैं। सावन के दूसरे पक्ष में इस बार मनसा पूजा, मधु श्रावणी, झूलन जैसे पर्व पड़ेंगे।  16 अगस्त को मधु श्रावणी संयत व 17 अगस्त को कथा प्रारंभ होगी जो 19 अगस्त को समाप्त होगी।  इसके अलावा 18 अगस्त को मनसा पूजा, 21 अगस्त को नाग पंचमी व 27 से 31 अगस्त तक झूलन पूजा रहेगी। श्रावण हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पाँचवा मास है। भारत में इस माह में वर्षा ऋतु होती है और प्रायः बहुत अधिक गर्मी होती है। श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने स्वयं कहा है—
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभः ।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ॥
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृतः।
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यतः ॥
अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।
इन शिव मंत्रों से करें भोलेनाथ की पूजा
शंकराय नमः ।
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ महेश्वराय नमः।
ॐ श्री रुद्राय नमः।
ॐ नील कंठाय नमः।
– नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।
– निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं।
गुणागार संसारपारं नतोऽहम्।
– तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।
– चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि।
– प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं।
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम्।
– कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।
– न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम्।
– न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो।
– रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।

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