धर्मक्षेत्र
क्रिसमस से जुड़ी ये खास परंपराएं सिखाती हैं जीवन जीने का सही तरीका, बच्चे करते हैं इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार
क्रिसमस से जुड़ी ये खास परंपराएं सिखाती हैं जीवन जीने का सही तरीका, बच्चे करते हैं इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार
सीएन, नैनीताल। क्रिसमस के त्योहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और खासतौर पर बच्चे इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री को सजाने के साथ ही एक दूसरे को गिफ्ट भी दिए जाते हैं। साथ ही कई ऐसी परंपराएं हैं जो कि सालों से निभाई जा रही हैं। क्रिसमस के मौके पर सीक्रेट गिफ्ट का चलन है और कहते हैं कि गिफ्ट देना आपके दयालु व्यवहार को दर्शाता है। लेकिन क्रिसमस पर किसी ऐसे व्यक्ति को उपहार देना चाहिए जो कि जरूरतमंद हो। मान्यताओं के अनुसार सांता क्लॉज भी क्रिसमस की रात जरूरतमंद बच्चों के उपहार देते हैं। बच्चों को उपहार देने की सीख जरूर सिखाएं इससे वह शेयरिंग के बारे में जानेंगे। प्रार्थना या पूजा के दौरान हम अपने अपने ईश्वर या इष्ट से बाते करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। क्रिसमस के दिन भी लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और अपने जीवन के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं। प्रार्थना करके मन से हर तरह की नकारात्मकता निकाली जा सकती है। क्रिसमस के दिन चर्च में मोमबत्ती जलाने की परंपरा है जो कि ईसाई धर्म की एक बहुत पुरानी परंपरा है। मोमबत्ती जलाकर लोग जीवन में सफलता एवं खुशियों की कामना करते हैं और साथ ही जिन लोगों के जीवन में अंधकार है, वे अपने जीवन में प्रकाश के होने की भी आशा करते हैं। क्रिसमस के दिन लोग घरों को सजाने के लिए घंटियों का उपयोग करते हैं और जगह-जगह घंटियां लगाते हैं। जो कि दिखने में तो सुंदर लगती ही है बल्कि घंटी की आवाज से सकारात्मकता और अच्छी ऊर्जा का भी प्रवाह होता है। घर में घंटियों को लगाने से वातावरण एकदम खुशनुमा हो जाता है।
क्रिसमस डे को सेलिब्रेट करने के लिए 25 दिसंबर क्यों
क्रिसमस एक ऐसा खास त्योहार है जिसे ईसाई धर्म के साथ ही अन्य धर्म के लोग भी बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। ईसाई धर्म की मान्यताओं अनुसार ये वही दिन है जब ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए इस खास दिन पर ईसाई लोग इकट्ठा होकर प्रभु यीशु की आराधना करते हैं और साथ में क्रिसमस कैरोल गाते हैं। इसके बाद लोग एक.दूसरे को मेरी क्रिसमस कहकर इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। क्रिसमस पर्व के इतिहास को लेकर कई इतिहासकारों के अलग.अलग मत हैं। कुछ इतिहासकारों अनुसार यह त्यौहार यीशु के जन्म के बाद मनाया जाना शुरू हुआ तो कुछ ऐसा मानते हैं कि इस पर्व को यीशु के जन्म के पहले से ही मनाया जाता आ रहा है। उनका ऐसा मानना है कि ये पर्व रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया का ही एक नया रूप है। ऐसा कहा जाता है कि सैंचुनेलिया रोमन देवता है। कहते हैं बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को ही क्रिसमस डे के रूप में मनाने लगे थे। क्रिसमस का त्योहार लोग सन 98 से ही मनाते आ रहे हैं। लेकिन सन 137 में रोमन बिशप ने इस त्योहार को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। हालांकि उस समय इस पर्व को मनाने का कोई निश्चित दिन तय नहीं किया गया था लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार सम्राट कॉन्सटेंटाइन के अधीन रोम में चर्च ने 336 में 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाना शुरू किया। मुख्य रूप से 25 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्म से ही जोड़कर देखा जाता है।
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