धर्मक्षेत्र
आज है दशहरा : हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
आज है दशहरा : हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
सीएन, हरिद्वार। नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि का समापन दशहरा के साथ होता है। दशहरा को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल दशहरा आज 12 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन रावण दहन, शस्त्र पूजा और जवारे विसर्जन जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं, जिन्हें शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है। रावण दहन का समय इस साल सूर्यास्त के बाद शाम 5.54 बजे से शुरू होगा और यह समय ढाई घंटे तक चलेगा। यह प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। इस समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाएगा। दशहरा, भगवान राम के द्वारा रावण पर विजय का जश्न मनाने वाला मुख्य हिंदू त्योहार है। यह देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय और नवरात्रि के समापन के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का है महत्वपूर्ण त्योहार है। भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के अनुयायी हर्षोल्लास और जोश के साथ मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार आमतौर पर दशहरा अश्विन या कार्तिक महीने के दसवें दिन होता है। हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार दशहरा मनाने का एक मुख्य कारण भगवान राम की राक्षस राजा रावण पर विजय के उत्सव को याद करना है। धार्मिक मामलों के जानकारों के अनुसार अयोध्या के राजकुमार राम अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाते हैं, जिसने उनका अपहरण कर लिया था। जिस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया, उस दिन को दशहरा मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई रावण पर अच्छाई राम की जीत का प्रतीक है। दशहरा मनाने का एक और कारण भैंस राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का सम्मान करना है। यह कहानी नवरात्रि के त्यौहार का मुख्य आकर्षण है, जिसका समापन दशहरा के रूप में होता है। दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध बुराई पर अच्छाई की जीत और सत्य और धर्म की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। दशहरा से सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई है। इस अवसर पर रामलीला प्रदर्शन किया जाता है। इसमें रामायण का नाट्य मंचन किया जाता है। कई इसे 10 दिनों में प्रदर्शित किया जाता है। भगवान राम द्वारा रावण का वध के साथ समाप्त होता है। अंतिम दिन, दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों को जलाया जाता है। इस अवसर कई जगहों पर डांडिये का आयोजन किया जाता है। गुजरात का डांडिया देश भर में सबसे ज्यादा मशहूर है। इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है जिसमें शस्त्रों की पूजा कर शक्ति और साहस का आह्वान किया जाता है। इसके साथ ही जवारे विसर्जन की परंपरा भी निभाई जाती है, जो नई ऊर्जा और उन्नति का प्रतीक है। विजयादशमी का संदेश यही है कि सद्गुणों और सकारात्मकता के साथ जीवन को बेहतर बनाया जाए, बुराइयों से दूर रहकर सच्चाई और अच्छाई का पालन किया जाए। इसके साथ ही इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को मारकर धरती को उसके आतंक से मुक्त किया था। वहीं, विजयदशमी के दिन शमी और अपराजिता पौधों की पूजा करने की भी परंपरा है, जिन्हें शुभ माना जाता है। यह पर्व वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के प्रारंभ का भी संकेत देता है।
