धर्मक्षेत्र
आज 27 जून को है गुप्त नवरात्रि की भड़ली नवमी, बिना मुहूर्त होगा शुभ विवाह
आज 27 जून को है गुप्त नवरात्रि की भड़ली नवमी, बिना मुहूर्त होगा शुभ विवाह
सीएन, हरिद्ववार। वर्ष 2023 में 27 जून, मंगलवार को आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि पर भड़ली नवमी पर्व मनाया जाएगा। तथा इसके साथ ही गुप्त नवरात्रि का समापन भी होगा। भड़ली नवमी वह दिन है, जब बिना कोई मुहूर्त देखें शुभ विवाह संपन्न किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही महत्व वाला दिन माना गया है, अत: यह दिन अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आता है तथा शुभ मांगलिक कार्य, विवाह बंधन के लिए यह दिन खास मायने रखता है। आपको ज्ञात हो कि इस वर्ष 29 जून को देवशयनी/ हरिशयनी एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए क्षीरसागर में सोने चले जाते हैं, तथा इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं। अत: इन 4 माह तक शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य संपन्न नहीं किए जाते हैं। और ऐसे में 4 माह तक सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इसी वजह से यदि आप कोई खरीदारी या मांगलिक कार्य करने की सोच रहे हैं तो भड़ली नवमी एक शुभ तिथि हैं, जिसमें आप कोई भी शुभ प्रसंग, मांगलिक कार्य संपन्न कर सकते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 27 जून, 2023 को सुबह 02.04 मिनट से शुरू हो रही है तथा अगले दिन यानी 28 जून, 2023 को सुबह 03.05 मिनट पर इसका समापन होगा। अत: उदयातिथि के अनुसार 27 जून को भड़ली नवमी मनाई जाएगी। बता दें कि 22 जून के बाद विवाह के लिए शुभ नक्षत्र बहुत कम समय उपलब्ध है। जिसमें 23, 24, 26 जून को ही विवाह के शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहे हैं तथा भड़ली नवमी के दिन अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन शुभ विवाह संपन्न किए जा सकते हैं। तत्पश्चात देवउठनी एकादशी पर देव जागने के बाद ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो पाएंगे।
भडली नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा –
इस पर्व से जुड़ी एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु अपनी शक्ति के लिये जाने जाते थे । तो एकबार ऐसा हुआ कि भगवान सो रहे थे और इसी दौरान हिंदुओं के विवाह नहीं हो सकते थे। वही विवाहित जीवन को तब तक सुखमय और संपन्न नहीं माना जाता है जबतक भगवान विष्णु का आशीर्वाद उसमें शामिल ना हों। झारखंड राज्य में एक छोटा सा शहर है जिसे इटखोरी के नाम से जाना जाता है। इस पूरे क्षेत्र में भगवान विष्णु के भक्त रहते हैं। यहां एक भगवान शिव और देवी काली से संबंधित बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जहां भक्त दूर-दूर से उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। भडली मेले के दौरान देवी काली के जगदबा के रुप में पूजा जाता है और उन्हें बलिदान भी चढाया जाता है। इस दिन मुंडन संस्कार के लिये भी काफी लाभदायक माना जाता है।