धर्मक्षेत्र
आज है कजरी तीज व्रत : दूर होती है गरीबी, क्या है कथा और महत्व
आज है कजरी तीज व्रत: दूर होती है गरीबी, क्या है कथा और महत्व
सीएन, प्रयागराज। साल में तीन बार तीज का त्योहार मनाया जाता है। हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। ये तीनों ही व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित हैं। पति की लंबी आयु, संतान की खुशहाली और परिवार में सुख.शांति की कामना के लिए हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। इस साल कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर 2023 को रखा जाएगा। मान्यता है इस व्रत के प्रभाव से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर पाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस त्योहार को कुंवारी कन्याएं भी मनभावन पति को पाने के लिए रखती हैं। माना जाता है कि अगर कुंवारी कन्या इस व्रत को रखती हैं और शाम के समय कजरी तीज की कथा का पाठ करती हैं तो जल्द ही भगवान शिव अच्छे जीवनसाथी पाने की कामना को पूर्ण कर देते हैं। कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है जो माता पार्वती का ही स्वरूप मानी जाती हैं। कजरी तीज के दिन महिलाएं सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। मां का मनन करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें सबसे पहले भोग बना लें। भोग में मालपुआ बनाया जाता है। पूजन के लिए मिट्टी या गोबर से छोटा तालाब बना लें। इस तालाब में नीम की डाल पर चुनरी चढ़ाकर नीमड़ी माता की स्थापना कर लें। नीमड़ी माता को हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, चूड़िया, लाल चुनरी, सत्तू और मालपुआ चढ़ाए जाते हैं। धूप.दीपक जलाकर आरती आदि कर लें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लें।
कजरी तीज व्रत कथा
कजरी तीज व्रत कथा के बिना अधूरा माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था जो बहुत गरीब था। ब्राह्मणी को भाद्रपद माह में आने वाली सातुड़ी तीज यानी कजरी तीज का व्रत रखना था। इसके लिए उसने पति से सातु लाने को कहा। शास्त्रों के अनुसार कजरी तीज में सत्तू का विशेष महत्व होता है। ब्राह्मणी ने पति से कहा कि उसे चने का सातु चाहिए, इस पर ब्राह्मण बोला कि वो कहां से सातु लाएगा। ब्राह्मणी ने कहा चाहे चोरी करो या डाका डालो लेकिन सातु लेकर आओ। अंधेरी रात में ब्राह्मण सातु लेने के लिए चुपके से साहूकार की दुकान में घुस गया। वहां उसने घी, शक्कर, चने की दाल को सवा किलो तोलकर सातु बना लिया। ब्राह्मण के जाते समय दुकान के नौकरों ने आहट सुन ली और वह जोर.जोर से चोर.चोर चिल्लाने लगे और उसे पकड़ लिया। ब्राह्मण ने कहा कि वो चोर नहीं है पत्नी ने तीज माता का व्रत रखा है जिसके लिए वो सवा किलो सातु लेने के लिए आया थाण् पैसे नहीं थे इसलिए इस तरह सातु ले जाना पड़ा। तलाशी करने पर ब्राह्मण के पास सिर्फ सातु निकला जिससे साहूकार ने कहा कि वह आज से ब्राह्मण की पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा। उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर दुकान से विदा कर दिया। ब्राह्मणी ने पूरे विधि विधान से कजरी माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण और उसके परिवार में खुशियों का आगमन हुआ, हे तीज माता इसी तरह सब पर अपनी कृपा बनाए रखना।
