धर्मक्षेत्र
आज 27 अप्रैल को है वैशाख माह की अमावस्या : गंगा स्नान, दान और पितृ तर्पण का विशेष महत्व
आज 27 अप्रैल को है वैशाख माह की अमावस्या: गंगा स्नान, दान और पितृ तर्पण का विशेष महत्व
सीएन, हरिद्वार। वैशाख माह की अमावस्या इस बार 27 अप्रैल 2025 को पड़ रही है और यह दिन कई शुभ संयोगों को साथ लेकर आ रहा है। इस दिन जहां उत्तर भारत में गंगा स्नान, दान, और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है, वहीं दक्षिण भारत में शनि जयंती भी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का खासा महत्व होता है। पितरों ने धर्मवर्ण को बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। अगर तुम वापस जाकर अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो एवं विधि.विधान से पिंडदान करो तो हमें इस कष्ट से मुक्ति मिल सकती है। पितरों की बात सुनने के बाद धर्मवर्ण ने वचन दिया कि वह उनकी आज्ञा का पालन अवश्य करेंगे। भूलोक पर आकर धर्मवर्ण ने अपना संन्यासी जीवन त्याग कर गृहस्थ-धर्म को अपना लिया और फिर कुंभदान सहित पापविनाशक श्राद्ध करके उसके द्वारा पितरों को पुनरावृत्ति रहित मुक्ति प्रदान की। तत्पश्चात उन्होंने स्वयं विवाह करके उत्तम संतान को जन्म दिया और लोक में उस पापनाशिनी अमावस्या तिथि को प्रसिद्ध किया। इसलिए वैशाख मास की अमावस्या तिथि परम पवित्र मानी गई है।वहीं वैशाख अमावस्या को विशेष माना गया है। यह अमावस्या धर्म-कर्म, स्नान-दान, तर्पण आदि के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। इस वर्ष वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल 2025 रविवार यानि कि आज है। वैशाख अमावस्या तिथि अमावस्या तिथि आरंभ 27 अप्रैल 2025 रविवार की सुबह 4 बजकर 49 मिनट पर अमावस्या तिथि समापन 28 अप्रैल 2025 सोमवार की देर रात 1 बजे। वैशाख अमावस्या का महत्व माना जाता है कि इस दिन स्नान के बाद कुछ वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए। वैसे तो दान करने से पुण्य की प्राप्ति मानी गई है लेकिन इस दिन दान करने से पितर भी खुश होते हैं और ग्रह दोष दूर होता है। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है आर कार्यों सफलता की संभावना बनती है। इसके अलावा वैशाख माह की रात में कई उपाय भी किए जाते हैं। इनमें से एक है अमावस्या की रात को घर की छत पर दीपक जलाना। मान्यता है कि अमावस्या की रात किए गए इस उपाय से जातक पर नकारात्मक शक्तियों का कोई असर नहीं होता। वैशाख अमावस्या पर गंगा यमुना आदि नदियों में स्नान करना चाहिए। नदी जाना संभव ना हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर हर हरे गंगे मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान करना चाहिए। इसके अलावा पास ही बने किसी पवित्र सरोवरों, तालाब में भी स्नान किया जा सकता है। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करें। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करना चाहिए। श्री हरि को पीला चंदन और पीले पुष्प प्रभु को अर्पित करना चाहिए। घर में घी का दीपक जलाने के साथ ही श्री विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए। भगवान को पकवान के साथ तुलसी दल का भोग लगाएं पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें। अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए।
