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धर्मक्षेत्र

आज 15 दिसंबर 2025 को है सफला एकादशी : सफलता हासिल करने की कामना को करें व्रत व पूजा

सीएन, हरिद्वार। पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी आज15 दिसंबर (सोमवार) को है, इसे सफला एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि पौष कृष्ण एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही जीवन के सभी कार्यों को सफल बनाती है, इसीलिए इसे सफला एकादशी कहते हैं। भक्त अपने कामों में सफलता हासिल करने की कामना से ये व्रत करते हैं। इस तिथि पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, एकादशी व्रत धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला माना गया है। इस तिथि पर व्रत रखने से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं, पापों का नाश करने वाला होता है। इस दिन गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। सफला एकादशी का महत्व राजा महिष्मान के पुत्र लुंभक की कथा से भी समझ सकते हैं। लुंभक दुराचारी और पापी था। उसके दुर्व्यवहार के कारण उसके पिता ने उसे राज्य से निष्कासित कर दिया। वन में भटकते हुए पौष कृष्ण एकादशी के दिन वह भूख और प्यास से अत्यंत व्याकुल होकर एक पेड़ के नीचे गिर पड़ा। उस दिन सफला एकादशी थी और वह अनजाने में ही उपवास की स्थिति में रहा। ठंड, थकान और भूख से बेहाल लुंभक रातभर वहीं पड़ा रहा। सुबह जब उसकी चेतना लौटी तो उसके भीतर एक अद्भुत परिवर्तन दिखा। अनजाने में हुए इस व्रत के प्रभाव से उसके पाप नष्ट हो चुके थे और उसका मन पवित्र तथा सकारात्मक हो गया। बाद में वह अपने पिता के पास लौटा, जिन्होंने उसकी सुधरी प्रवृत्ति देखकर राज्य उसे सौंप दिया। लुंभक ने जीवनभर भगवान विष्णु की भक्ति की और अंत में मोक्ष की प्राप्ति की। ये कथा बताती है कि सफला एकादशी का व्रत कितना प्रभावशाली है।सफला एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की आराधना की जाती है। सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर माथे पर चंदन लगाकर पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद वस्त्र, चंदन, इत्र, तिल, तुलसी, धूप-दीप, नैवेद्य, पान-सुपारी और फल-फूल अर्पित करें, इसके बाद धूप-दीप जलाकर आरती करनी चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और दान दें। इस दिन अन्न, वस्त्र और तिल का दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। सफला एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा से आयु वृद्धि होती है, परिवार में सुख-शांति आती है और आर्थिक सफलता मिलती है।

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