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आज है विनायक सावन चतुर्थी 21 जुलाई 2023 : पूजनविधि, महत्व और कथा

आज है विनायक सावन चतुर्थी 21 जुलाई 2023 : पूजनविधि, महत्व और कथा
सीएन, प्रयागराज।
पुरुषोत्तम मास (मलमास) की अवधि के मध्य प्रथम अधिक श्रावण शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी का महापर्व 21 जुलाई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। भगवान गणेश और चंद्रमा के संयोग से निर्मित होने वाली सभी चतुर्थियों की महत्वता का वर्णन सभी पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से मिलता है। गणेशजी ज्ञान और बुद्धि के ऐसे देवता हैं, जिनकी उपासना जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देती है। चतुर्थी तिथि के देवता भगवान गणेश, अधिकमास के श्रीविष्णु एवं श्रावण मास के स्वामी भगवान शिव हैं। ऐसे में इस चतुर्थी के दिन पूजन-अर्चन, व्रत और दान करने से इन तीनों देवों की कृपा सहजता से प्राप्त की जा सकती है। विनायक चतुर्थी पर श्री गणेशजी की पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है,सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणेश को जल,पंचामृत रोली,अक्षत,सुपारी,जनेऊ,सिन्दूर, पुष्प,दूर्वा आदि से पूजा करें। फिर लड्डुओं का प्रसाद लगाकर दीप-धूप से उनकी आरती उतारें। सुख-समृद्धि की कामना से गणेशजी के मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या  ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा’ का यथाशक्ति जप करें। पूजन करते समय कुछ वास्तु नियमों का ध्यान रखना चाहिए,ऐसा करने से पूजा के फल में वृद्धि होती है। गणेशजी को विराजमान करने के लिए  पूर्व, उत्तर-पूर्व या ब्रह्म स्थान को शुभ माना गया है। पूजा करते समय आराधक का मुख पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। नीले और काले रंग के कपड़े पूजा में नहीं पहनने चाहिए। इनकी पूजा में लाल, पीले, गुलाबी, हरे या केसरिया  रंग के कपड़े पहनना अच्छा माना गया है। गणेशजी विघ्नहर्ता हैं ,इनकी आराधना करने से भवन का वास्तुदोष भी दूर होता है,सकारात्मक ऊर्जा आती है।
चंद्र दर्शन का पौराणिक महत्व
शास्त्रों में उल्लेख है कि सौभाग्य,संतान,धन-धान्य,पति की रक्षा और संकट टालने के लिए चंद्रदेव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सूर्योदय से शुरू होने वाला यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद पूर्ण होता है। इस दिन चंद्रोदय होने पर लोटे में जल भरकर उसमें लाल चन्दन, कुश, पुष्प, अक्षत, शक्कर आदि डालकर चन्द्रमा को यह बोलते हुए अर्घ्य दें-‘गगन रुपी समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा ! दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम ! गणेश के प्रतिविम्ब ! आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए’। चन्द्रमा को दिया हुआ यह दिव्य व पापनाशक अर्घ्य सौभाग्य में वृद्धि करता है। इस प्रकार कल्याणकारी विनायक चतुर्थी व्रत का पालन करके मनुष्य धन-धान्य से संपन्न होता है।वह कभी कष्ट में नहीं पड़ता। चंद्रमा को अर्घ्य देने से कुंडली में चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। धर्मग्रंथों के अनुसार कलंक चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए,क्यों कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से झूठा कलंक लगता है।
विनायक सावन चतुर्थी कथा
किसी समय नर्मदा नदी के तट पर माता पार्वती और भगवान शिव चौपड़ खेल का आनंद ले रहे थे। खेल में निर्णायक की भूमिका के लिए भगवान शिव ने मिट्टी का एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर जीवित कर दिया। भगवान शिव ने उस बालक को आदेश दिया कि वह विजेता का फैसला करेगा। माता पार्वती और शिव खेल में व्यस्त हो गए। माता पार्वती और भगवान शिव के बीच में तीन बार चौपड़ का खेल हुआ। जिसमें माता पार्वती जीत गईं, लेकिन बालक ने भगवान शिव को विजेता घोषित कर दिया। बालक के फैसले पर माता पार्वती बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने बालक को श्राप दे दिया। जिसके बाद बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगते हुए कहा कि भूववश हो गया। जिस पर माता पार्वती ने कहा कि दिया हुआ श्राप वापस नहीं होगा। हालांकि मााता पार्वती ने बालक को श्राप से मुक्ति के उपाय बताए। बालक द्वारा माता पर्वती से श्राप से मुक्ति का उपाय पूछने पर उन्होंने कहा कि भगावन गणेश की पूजा के लिए नागकन्याएं आएंगी। तब उनके कहे अनुसार व्रत करना होगा. जिसके बाद श्राप से मुक्ति मिल जाएगी। वह बालक कई वर्षों तक श्राप से जूझता रहा। एक दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए नागकन्याएं आईं जिनसे बालक ने गणेश व्रत की विधि पूछी और सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने लगा। कहते हैं कि बालक की भक्ति को देखकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिया और उससे वरदान मांगने के लिए कहा। भगवान गणेश के आशीर्वाद से वह बालक श्राप से मुक्त हो गया। जिसके बाद वह बालक माता पार्वती और शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचा। कहते हैं कि जब बालक भगवान शिव से मिलने कैलाश पर्वत पर पहुंचा तो भगवान शिव ने भी 21 दिनों तक गणेश व्रत किया। जिसके बाद माता पार्वती की शिव  के प्रति नाराजगी दूर हो गई। भगवान शिव में माता पार्वती को गणेश व्रत की विधि और उसकी महिमा के बारे में बताया।      

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