धर्मक्षेत्र
आज 10 जुलाई 2025 को है आषाढ़ पूर्णिमा यानी व्यास पूर्णिमा : पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु की करें आराधना
आज 10 जुलाई 2025 को है आषाढ़ पूर्णिमा यानी व्यास पूर्णिमा: पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु की करें आराधना
सीएन, हरिद्वार। पूर्णिमा तिथि हर महीने मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन को गुरुओं की पूजा के लिए निर्धारित किया गया है। इस दिन लोग अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं जिन्होंने जीवन में उनका मार्गदर्शन किया हो और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया हो। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को महर्षि वेद-व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। यह दिन गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर गंगा नदी में स्नान दान का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा के इस विशेष दिन पर गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना प्रथम उपदेश दिया था। गुरु पूर्णिमा को बौद्धों द्वारा गौतम बुद्ध के सम्मान में भी मनाया जाता है। साल 2025 में गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई रात 01.36 मिनट पर होगी। पूर्णिमा तिथि समाप्त 11 जुलाई 2025 को रात 02.06 मिनट पर होगी। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान-दान किया जाता है। संभव को तो इस दिन पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करें और संभव ना हो तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान अवश्य करें। इस दिन पाले वस्त्र पहनकर पूजा करें, ऐसा करने से भाग्य में वृद्धि होती है और आर्थिक कार्यों में तेजी से सफलता मिलती है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 बुधवार को है मनाई जाएगी। यह आषाढ़ माह का आखिरी दिन है। इसके बाद से श्रावण माह शुरू हो जाएगा। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन अज्ञान को हटा कर प्रकाश की ओर लेकर जाने वाले गुरु का सम्मान किया जाता है। र महीने की आखिरी तिथि पर पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसारए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन श्रीहरि और पवित्र नदी में स्नान करने से साधक के सभी पाप कट जाते हैं और सुख.समृद्धि में वृद्धि होती है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर पूजा.अर्चना करें और इसके बाद मंदिर या फिर गरीब लोगों में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। धार्मिक मान्यता के अनुसारए पूर्णिमा के दिन दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं। सुख.समृद्धि में वृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन दूध का दान करना चाहिए। साथ ही मां लक्ष्मी से सुख.शांति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन से तिजोरी भरी रहती हैं और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। 1ण् श्री यंत्र का पूजन करें आषाढ़ पूर्णिमा की सुबह श्री यंत्र को लाल वस्त्र पर स्थापित करें। उसे गंगाजलए दूधए शहद से शुद्ध कर कमलगट्टे की माला से श्ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमःश् मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मां लक्ष्मी का आह्वान करने का प्रभावशाली उपाय है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की एक साथ पूजा करें। पीले और लाल फूल अर्पित करेंए पंचामृत से स्नान कराएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं। इससे सुख.समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति आती है। व्रत रखने के पश्चात रात्रि में चंद्रमा को दूधए जलए शक्कर और चावल मिलाकर अर्घ्य दें। इससे मानसिक शांति मिलती है और धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। सांझ के समय पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं और श्ॐ नमो भगवते वासुदेवायश् मंत्र का जाप करते हुए सात परिक्रमा करें। यह उपाय पितृ दोष को शांत करता है और लक्ष्मी कृपा प्रदान करता है।
