धर्मक्षेत्र
आज 15 मई 2025 को है वृषभ संक्रांति : सूर्य को अर्घ्य देना, शुभ कार्यों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायक
आज 15 मई 2025 को है वृषभ संक्रांति: सूर्य को अर्घ्य देना, शुभ कार्यों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायक
सीएन, हरिद्वार। ग्रहों के स्वामी सूर्य 15 मई 2025 को वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे वृषभ संक्रांति कहते हैं। माना जाता है कि जब सूर्य वृषभ राशि में विराजमान होते हैं, तो इसका असर व्यापक रूप से पूरी धरती पर पड़ता है। ग्रहों के राजा सूर्यदेव अभी मेष राशि में गोचर कर रहे हैं। इस राशि में वे 14 अप्रैल 2025 को प्रविष्ट हुए थे। वहीं बृहस्पतिवार 15 मई 2025, की रात में वे 12.20 बजे वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वृषभ राशि में सूर्य गोचर को ज्योतिष शास्त्र में वृषभ संक्रांति कहते हैं। संक्रांति का अर्थ है, सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की प्रक्रिया। वृषभ संक्रांति को गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना, सूर्य को अर्घ्य देना, शुभ कार्यों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, घी, वस्त्र, जल और अनाज का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। मेष राशि अग्नि तत्व की चर यानी चलायमान राशि है। मान्यता है कि जब सूर्य इस राशि में गोचर करते हैं, तो धरती के वातावरण का तापमान बढ़ने लगता है। वहीं वृषभ पृथ्वी तत्व की स्थिर राशि है। ऋतु परिवर्तन की प्राचीन मान्यता है कि जब सूर्य वृषभ राशि में विराजमान होते हैं, तो इसका असर व्यापक रूप से धरती परए विशेषकर उत्तरी गोलार्ध में, पड़ता है। इससे इस गोलार्ध में गर्मी का मौसम अपनी चरम अवस्था की बढ़ जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य देव अपनी राशि परिवर्तन करके मेष राशि से वृष राशि में 15 मई को गोचर करेंगे। इसलिए 15 मई को वृषभ संक्रांति मनायी जायेगी। 15 मई को देर रात 12 बजकर 11 मिनट पर मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव का वृष राशि में 14 जून तक रहेंगे। इसके बाद 15 जून से सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। 15 मई को पुण्य काल सुबह 05 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही महा पुण्य काल सुबह 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर सुबह 07 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगा। वृषभ संक्रांति पर शिव योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। जिसका समय सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद पूरी रात सिद्ध योग और भद्रावास योग रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। यह समय दान-ध्यान के लिए उपयुक्त है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा पाठ से भक्त पर उनकी कृपा बरसती है और उसे निरोगी होने का वरदान मिलता है।
सूर्य देव के सिद्ध मंत्र
ऊँ घृणि सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ सूर्याय नमः
