धर्मक्षेत्र
आज 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे : ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण शोक दिवस का काला पर्व
आज 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे : ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण शोक दिवस का काला पर्व
सीएन, नैनीताल। आज 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार ईस्टर संडे से पूर्व वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन, ईसाई समुदाय यीशु के बलिदान को याद करते हुए प्रार्थना करते हैं। गुड फ्राइडे ईस्टर संडे से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन ईसाई लोग चर्च में जाकर प्रार्थनाएं करते हैं। इसे एक तरह से शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए इसे ग्रेट फ्राइडे, होली फ्राइडे और ब्लैक फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु ईसा मसीह का जन्म बेथलहम में हुआ था ताकि वे समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त कर सकें। उन्होंने लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश दिया, लेकिन जो लोग अत्याचार कर रहे थे उन्हें यह बात स्वीकार नहीं हुई और उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के खिलाफ अफवाह फैलानी शुरू कर दीं। इन झूठे आरोपों के कारण प्रभु ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया। गुड फ्राइडे उस दिन को दर्शाता है जब हम ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। ईसाई धर्म में प्रभु ईसा मसीह को ईश्वर का अवतार माना जाता है। उन पर अनेक अत्याचार हुए, जिन्हें सहते हुए उन्होंने सूली पर चढ़ने का निर्णय लिया। इस दिन उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की थी। यह दिन प्रभु यीशु के बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन ईसाई समुदाय के लोग चर्च में प्रार्थना करते हैं। लोग उपवास रखते हैं और उपवास के बाद मीठी रोटी का सेवन करते हैं। ईसाई धर्म के अनुयायी प्रभु यीशु के उपदेशों को याद करते हैं। गुड फ्राइडे के अवसर पर चर्च में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहां यीशु के क्रूस पर चढ़ने की कथा का पाठ किया जाता है और उपदेश दिए जाते हैं। गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लोगों के लिए बेहद दुखद दिन है क्योंकि इस दिन उनके प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। प्रभु यीशु ने इस दिन धर्म की रक्षा के लिए खुद को बलिदान कर दिया था। कहा जाता है कि यीशु यरूशलेम में रहकर मानवता के कल्याण के लिए भाईचारे, एकता और शांति के उपदेश दिया करते थे। धीरे-धीरे लोगों ने उन्हें परमात्मा का दूत और उनकी संतान मानना शुरू कर दिया। उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देख तत्कालीन यहूदी शासकों को जलन होने लगे। उन्होंने यीशु पर राजद्रोह का झूठा मुकदमा चलाकर उन्हें सूली पर लटका दिया। कहते हैं प्रभु को सूली पर चढ़ाने से पहले तरह.तरह की यातनाएं दी गईं। उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया और यहां तक की उन्हें सूली को अपने कंधे पर ले जाने के लिए मजबूर किया। फिर आखरी में उनके हांथों में कील ठोकते हुए उन्हें सूली पर लटका दिया गया।
