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आज 29 अप्रैल को है परशुराम जयंती: विष्णु के छठे अवतार, ऋषि जमदग्नि व माता रेणुका के घर हुआ था जन्म

आज 29 अप्रैल को है परशुराम जयंती: विष्णु के छठे अवतार, ऋषि जमदग्नि व माता रेणुका के घर हुआ था जन्म
सीएन, हरिद्वार।
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म त्रेतायुग में ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। परशुराम जयंती भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह दिन परशुराम जी को समर्पित है, जिन्होंने पृथ्वी को अन्याय और अत्याचार से मुक्त कराने के लिए अनेक बार क्षत्रियों से युद्ध किया था, परशुराम अत्यंत शक्तिशाली, वीर और कुशल योद्धा थे। उन्हें वेदों और शास्त्रों का ज्ञान था। वह भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और उन्हें शिव से कई हथियार और शास्त्र प्राप्त हुए थे। परशुराम को भगवान विष्णु का रौद्र अवतार माना जाता है। शास्त्रों अनुसार भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। यह भगवान शिव के परम भक्त भी माने जाते हैं। हर साल परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में परशुराम जयंती का खास महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली तृतीया तिथि पर विष्णु जी के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयंती मनाने का विधान हैण् भगवान विष्णु के इस अवतार को बहुत ही उग्र माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा करने से ज्ञान, साहस और शौर्य आदि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियां बढ़ती हैं। उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते है इस बार यह तिथि कब आ रही है। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि खत्म होगी ऐसे में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान परशुराम का अवतार हुआ है। इसलिए वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान परशुराम विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसे में 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी। परशुराम जयंती पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं। भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। उनके जन्म की कथा का पाठए हवन और दान करना भी इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है। परशुराम जी को ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के गुणों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा से ज्ञान, शक्ति और न्याय की प्राप्ति होती है। चूंकि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था इसलिए उनकी जयंती 29 अप्रैल को मनाई जाएगी। परशुराम जयंती के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण कर भगवान परशुराम का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। इस दिन व्रत रखने की परंपरा है।
परशुराम जयंती पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुरामः प्रचोदयात्।।
ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नमः।।

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