धर्मक्षेत्र
आज 19 जून को है इस मास की कालाष्टमी पर्व: पूजन करने से मृत्यु तुल्य कष्टों से मिलती है मुक्ति
आज 19 जून को है इस मास की कालाष्टमी पर्व: पूजन करने से मृत्यु तुल्य कष्टों से मिलती है मुक्ति
सीएन, हरिद्वार। कालाष्टमी पर्व इस बार अत्यंत विशिष्ट योग में आ रही है। कालाष्टमी शिव के रौद्र रूप कालभैरव को समर्पित रहती है, जो मृत्यु पर भी विजय दिला देते हैं। कालाष्टमी की पूजा शाम में होती है। 18 जून को दोपहर 1 बजकर 33 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ होगी जो 19 जून को सुबह 11 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी 18 जून को आ रही है। इस दिन प्रीति और आयुष्मान योग बन रहे हैं। इन योगों में कालभैरव का पूजन करने से मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य निरोगी हो जाता है। इसके लिए आपको कुछ विशेष उपाय करने होंगे। कालाष्टमी के दिन प्रातः 7.20 तक प्रीति योग है और उसके बाद आयुष्मान योग प्रारंभ हो जाएगा। कुंभ राशि का चंद्रमा रोग दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रोग दूर करने और मृत्यु टालने के लिए क्या करें कालाष्टमी के दिन रोग दूर करने और मृत्यु के समान कष्ट को टालने के लिए आटे के पांच दीपक बनाकर उनमें चौमुखी बत्तियां लगाएं। चमेली का तेल डालकर इन्हें भैरव मंदिर में प्रज्जवलित करें। मृत्यु के समान कष्ट भी टल जाएंगे। किसी भी काम में जल्दबाजी करने से बचें रोग चौराहे पर छूट जाएगा और रोगी ठीक हो जाएगा कालाष्टमी के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल में सवा सौ ग्राम काले उड़द और उनमें सवा सौ ग्राम सरसों का तेल अच्छे से मिला लें। इसे एक मिट्टी के पात्र में भरकर रोगी के सिर से पैर तक 21 बार घुमाकर उसमें 21 फूंक मारे, इस पात्र को किसी चौराहे के बीचों बीच जाकर रख दें और इस पर एक दीपक लगा आएं। वापस आते समय पीछे मुड़कर न देखें। रोग वहीं चौराहे पर छूट जाएगा और रोगी ठीक हो जाएगा। ऊं भैरवाय नमः या ऊं कालाय नमः मंत्र का जाप करें कालाष्टमी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाकर वहीं काला आसान बिछाकर बैठें और काले हकीक की माला से ऊं भैरवाय नमः या ऊं कालाय नमः मंत्र का एक माला जाप करें। मन में जिस रोगी के स्वस्थ होने की कामना लेकर यह जाप करेंगे वो शीघ्र ठीक होगा। काले कुत्ते को दूध-गुड़ में डालकर रोटी खिलाएं लाल फूल, काले तिल, सरसों, उड़द और नींबू इन पांचों चीजों को रोगी के सिर से उसारकर जल में प्रवाहित कर देने से रोग दूर हो जाता है। यदि किसी को असाध्य रोग है और मृत्यु की आशंका है तो ऐसे रोगी के नाम से 108 पाठ भैरव अष्टक के करवाएं और काले कुत्ते को दूध-गुड़ में डालकर रोटी खिलाएं। साथ ही भागवत पुराण का पाठ करना शुभ माना जाता है। भगवान गणेश को हलवा, बेसन के लड्डू या पंजीरी का भोग लगाएं और पूरे दिन निराहार रहें या फलाहार करें।
