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आज 30 मई को है विनायक चतुर्थी : हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, यह दिन भगवान गणेश को समर्पित

आज 30 मई को है विनायक चतुर्थी : हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, यह दिन भगवान गणेश को समर्पित
सीएन, हरिद्वार। हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर भगवान गणेश जी पूजा. अर्चना करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं यहां हम बात करने जा रहे हैं ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी के बारे में जो 30 मई को मनाई जाएगी। वहीं इस दिन 2 विशेष योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। विनायक चतुर्थी .30 मई 2025 शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी। चतुर्थी तिथि प्रारम्भ . 29 मई 2025, गुरुवार को 11.18 पीएम से, चतुर्थी तिथि समापन 30 मई 2025 शुक्रवार को 09.22 पी एम तक। गणेश पूजा शुभ मुहूर्त 30 मई 2025 शुक्रवार को 10.52 एएम से 01.37 पी एम तक। भगवान गणेश की सच्चे मन से आराधना करने से सभी परेशानियों का निवारण होता है और ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त होता है। यह व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दिन मध्याह्न के समय में श्री गणेश का पूजन करने से सुख.समृद्धि, धन.वैभव, ऐश्वर्य और संपन्नता मिलती है। विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र पहन लें। अब पूजा स्थल पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। उसके बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं। अब उन्हें दूर्वा, फल, फूल उनकी चरणों में अर्पित करें। इसके बाद उन्हें लड्डूओं का भोग लगाएं। फिर दीपक जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान गणेश को प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें।
विनायक चतुर्थी व्रत कथा
पुराने समय की बात है। एक नगर में एक व्यापारी अपनी धर्मपत्नी के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता था। वह हर महीने विनायक चतुर्थी का व्रत श्रद्धा से करता था। उसकी पत्नी भी उसके साथ इस व्रत को करती थी। भगवान गणेश की कृपा से उनके घर में धन.धान्य, सुख.शांति बनी रहती थी। एक दिन वह व्यापारी किसी व्यापारिक कार्य से दूर देश गयां उसने पत्नी से कहा, मैं जब तक वापस न आऊं तुम विनायक चतुर्थी का व्रत न करना, क्योंकि यात्रा में मैं तुम्हारे साथ पूजा नहीं कर पाऊंगां पत्नी ने सहमति दीं। लेकिन चतुर्थी के दिन पत्नी को याद आया कि भगवान गणेश का व्रत बहुत फलदायक होता है इसलिए उसने पति की अनुपस्थिति में ही व्रत कर लिया। जब व्यापारी वापस आया, तो उसने देखा कि घर में धन की हानि हो चुकी है और व्यापार में भी भारी नुकसान हुआ है। वह बहुत चिंतित हुआ। उसे एक पंडित ने बताया कि किसी ने नियम भंग कर व्रत किया है, जिससे विघ्न उत्पन्न हुआ है। पत्नी ने अपनी गलती स्वीकार की और दोनों ने अगले विनायक चतुर्थी को विधिवत रूप से साथ में व्रत किया और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान दिया कि जो भी श्रद्धा से विनायक चतुर्थी का व्रत करेगा उसके सारे विघ्न दूर होंगे और परिवार में सुख.समृद्धि बनी रहेगी। इस कथा के अलावा और भी कथाएं हैं, जो चतुर्थी व्रत में पढ़ी जाती हैं। विनायक चतुर्थी व्रत में नर्मदा नदी के तट पर भगवान शिव और माता पार्वती के चौपड़ खेलने वाली कथा भी पढ़ते हैं। विनायक चतुर्थी व्रत के 4 बड़े फायदे हैं जो विनायक चतुर्थी व्रत करता है उसके सभी कार्यों में सिद्धि और सफलता मिलती है। गणेश जी की कृपा से कुंडली का राहु.केतु दोष दूर होता है। नौकरी, परीक्षा, विवाह, संतान, कोर्ट केस आदि सभी कामों में आने वाले विघ्न टल जाते हैं। गणपति बप्पा की कृपा से घर में सुख.शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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