आपदा
फिर नैनीताल के डेंजर जोन में बसे लोग खौफ से जाग कर बीता रहे हैं रात
फिर नैनीताल के डेंजर जोन में बसे लोग खौफ से जाग कर बीता रहे हैं रात
पिटरिया, नारायणनगर, सात नम्बर, चार्टन लांज सहित कई इलाकों को खतरा
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। यहां भू-स्खलन प्रभावित बलियानाला के रईस होटल के समीप मंदिर के पास लगातार भू-स्खलन हो रहा है। भारी बरसात में सरोवर नगरी के भू-स्खलन प्रभावित बलियानाला के दोनों छोरों में बसी बस्तियों के ही नहीं बल्कि शहर के एक दर्जन डेंजर जोन स्थानों में इन दिनों लोग रातें जागकर बिता रहे हैं। बीते कुछ वर्षों से कई डैंजर जोन इलाकों में लगातार भूस्खलन की घटनायें हो रही है। इन इलाकों में बरसात शुरू होने के साथ ही प्रशासन घर खाली कराने का नोटिस लोगों को थमा देता है। इस बार भी प्रशासन ने ऐसा ही किया है। इन दिनों असुरक्षित इलाकों के लोग रात जाग कर बिता रहे है। मालूम हो कि भारी वर्षा के दौरान नैनीताल नगर के पिटरिया, मंगावली, मार्शल काटेज, रतन काटेज, सात नम्बर, शेर का डांडा, हरिनगर, धोबीघाट, स्टाफ हाउस, राजपुरा कंपाउंड, नारायणनगर, सूखाताल की पहाड़ी, चार्टन लांज सहित एक दर्जन स्थानों में लोगों की सांसे अटकी रहती है। आसमानी आफत के कारण शहर के इन क्षेत्रों को खतरा बढ़ता जा रहा है। हांलाकि कई स्थानों से लोगों का पुर्नवास होना था लेकिन प्रशासन आज तक लोगों का पुर्नवास नही कर सका है। बलियानाला में जहां जल रिसाव क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है। वही वर्षा थमने के बावजूद पहाड़ियों की ओर से भी भूस्खलन हो रहा है। यहां रह रहे एक दर्जन परिवारों को खतरा बरकरार है। इन दिनों वर्षा होने के बाद बलियानाला में लगातार भूस्खलन हो रहा है। यहां रह रहे लोगों को प्रशासन ने हर वर्ष की तरह घर छोड़ने के नोटिस दिये है।
एमबीटी व लेक थ्रस्ट से बन रहा भूस्खलन का खतरा
नैनीताल। भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि बलियानाला से लेकर चोपड़ा तक मेन बाउंड थ्रस्ट गुजर रही हैं इससे भूगर्भीय हलचल जारी होने से यह क्षेत्र भूस्खलन प्रभावित बना हुआ है। बलियानाला में भूगर्भीय हलचल के कारण यहां की कच्ची प्लेंटें निरंतर गिर रही है। इसके अलावा नैनीताल शहर से लेक थ्रस्ट गुजरने के कारण भी शहर के कई स्थानों में भूगर्भीय हलचल है। जिससे भूस्खलन का खतरा पैदा हो जाता है। नगर के आधा दर्जन इलाके भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील है। यहां भूस्खलन को रोका जाना संभव नही है। बलियानाला में लगातार भू-कटाव होने के कारण लगभग तीन किमी पहाड़ी में पांच दशक से अधिक समय सेे भू-स्खलन हो रहा है। बलियानाले के निचले जल बहाव क्षेत्र से भू-कटाव होने के कारण हरिनगर, जीआईसी परिसर सहित कैलाखान व नई बस्ती मंे भी प्रभाव पड़ रहा है।