अल्मोड़ा
अल्मोड़ा नगर में बंदर समस्या पर प्रशासन की दोहरी चाल : एक जागा, दूसरा अब भी खामोश
सीएन, अल्मोड़ा। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा नगर क्षेत्र में कृत्रिम रूप से छोड़े जा रहे कटखने बंदरों की समस्या लगातार गहराती जा रही है। राह चलते लोगों पर हमले, बच्चों और महिलाओं को घायल करना, घरों-दुकानों में घुसपैठ और फसलों को नुकसान जैसे मामलों से आमजन त्रस्त है। हैरानी की बात यह है कि यह संवेदनशील मामला 6 जून 2025 को शिकायत पत्र कुमाऊं आयुक्त को भेजा गया था, जिसे संबंधित कार्यवाही हेतु नगर निगम को प्रेषित किया गया, परंतु नगर निगम ने आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह तब है जब शासन के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि नगर क्षेत्र में बंदरों को पकड़ने की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होगी और वन विभाग केवल सहयोग करेगा।सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने इस विषय को बार-बार गंभीरता से उठाया है। उन्होंने न केवल प्रशासन को जगाया, बल्कि वन विभाग से लगातार समन्वय स्थापित किया। उनके अथक प्रयासों के चलते वन विभाग अब सक्रिय हुआ है और अपने सभी अधिकारियों को चेकपोस्टों पर वाहनों की सघन चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं ताकि बंदरों की कृत्रिम तरीके से छोड़ने की घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही आज 30 जुलाई 2025 को प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी पत्रभेजा गया है कि पुलिस विभाग भी इस दिशा में आवश्यक सहयोग दे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुर्भाग्य है कि जिलाधिकारी अल्मोड़ा के पास आम लोगों की समस्याएं सुनने का समय नहीं है, वे केवल राजनीतिक लोगों को ही प्राथमिकता देते हैं। इस संदर्भ में संजय पाण्डे ने वन विभाग और पुलिस प्रशासन का आभार भी जताया है कि उन्होंने जनहित को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाने की पहल की है, लेकिन नगर निगम अब भी अपनी गहरी नींद से नहीं जागा है। यदि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो संजय पाण्डे ने चेतावनी दी है कि वे नगर निगम और जिलाधिकारी अल्मोड़ा के खिलाफ जनहित याचिका दायर करेंगे। अब देखना यह है कि प्रशासन का दूसरा हिस्सा कब जागेगा, जब कोई बड़ी दुर्घटना होगी या जब जनता सड़कों पर उतरेगी?
