अल्मोड़ा
उत्तराखंड की पहाड़ी में हीरे का किस्सा यानि अल्मोड़ा का हीराडुगरी मुहल्ला
उत्तराखंड की पहाड़ी में हीरे का किस्सा यानि अल्मोड़ा का हीराडुगरी मुहल्ला
सीएन, अल्मोड़ा। सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा स्थित हीराडुंगरी स्थान से तो अधिकांश कुमाऊनी वाकिफ़ हैं. हीराडुंगरी अल्मोड़ा का एक मोहल्ला है. अंग्रेजों के समय मिशनरी के लोगों ने नये नये इसाई बने लोगों को इसी मोहल्ले में बसाया था. अल्मोड़े के हीराडुंगरी मोहल्ले पर गौर्दा ने लिखा–
हीराडुंगरी रम्य प्रदेसा
उमें रूनीं कास कास मैंसा
हरुवा हैनरी जसुआ जैका
क्वे नी जाणन च्याल छन कैका
हीराडुंगरी मोहल्ले की एक और कहानी है. जिसे कम लोग ही जानते हैं. इस कहानी के अनुसार एक जमाना ऐसा भी था जब हीराडुंगरी में लोगों ने चमकती हुई मणि देखी. लोग तो यहां तक कहते थे कि हीराडुंगरी में मणिवाला सर्प भी रहता है. हीराडुंगरी की यह अनसुनी कहानी कुछ इस तरह है–
दरअसल हीराडुंगरी पुराने समय में अल्मोड़ा नगर की एक चोटी हुआ करती थी. तब यहां चंद राजा राज किया करते थे. एकबार एक जौहरी चंद राजा के दरबार में आया. जौहरी ने राजा को एक अर्जी पेश की. इस अर्जी में जौहरी ने राजा के सामने एक पेशकश रखी. अपनी पेशकश में जौहरी कहा कि वह इस पहाड़ को खोदकर हीरे निकालना चाहता है. राजा ने जौहरी की यह अर्जी ख़ारिज कर दी और हीराडुंगरी की खुदाई होने से बच गयी. कुछ लोग कहते हैं कि हीराडुंगरी में मणिवाला सर्प भी रहता है. हीराडुंगरी के विषय में यह कहानी बद्रीदत्त पांडे भी अपनी किताब में लिखते हैं. संभवतः इस मौहल्ले से जुड़े इन किस्सों के कारण ही इसका नाम हीराडुंगरी कहा जाता है. अंग्रेजी राज में अल्मोड़े में बड़ी संख्या संख्या में अंग्रेज आ बसे थे. अंग्रेजों के आने के बाद उनके साथ यहां मिशनरी के लोग भी आये. मिशनरी के प्रभाव में अल्मोड़े में भी खूब धर्म परिवर्तन हुआ. धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने लोग हीराडुंगरी में ही रहा करते थे. काफल ट्री से साभार