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अल्मोड़ा

अल्मोड़े का अनरिया, जिसने भूत-भिसौंड़ों से मडुवे के खेतों में गुड़ाई करवाई

अल्मोड़े का अनरिया जिसने भूत-भिसौंड़ों से मडुवे के खेतों में गुड़ाई करवाई
सीएन, अल्मोड़ा।
अल्मोड़ा के पास ही एक गांव था जिसका नाम था अन्यारीकोट. अन्यारीकोट के लोग भूत-भिसौंड़े को नियंत्रित करने में माहिर माने जाते थे. अन्यारिकोट के लोगों के लोगों के विषय में तरह-तरह के किस्से कहे जाते हैं उन्हें यूं ही भूत-भिसौंड़े को नियंत्रित करने वाला नहीं माना जाता. एक कहानी कुछ ऐसी है-
अल्मोड़ा के पूरब में सुयाल नदी के नीचे एक श्मसान घाट है जहाँ इलाके के लोगों का क्रिया-कर्म होता था. कहते हैं कि अंधेरी रात में यहां भूत-भिसौंड़े आते और अपने ढोल-दम्मू बजाकर भयानक आवाजों के साथ नाचते. इन भूतों में कोई बिना मुंडी का होता तो कोई बिना हाथ पैर का, किसी की आँखों से खून निकल रहा होता तो किसी की आँखों की जगह काले खड्डे होते, किसी का बड़ा सा मुंह होता तो किसी के निकले हुये नुकीले दांत. कुछ अपने राजा को पालकी में लेकर चल रहे थे जो कि उन सब में सबसे भयावह था. कुछ उसके साथ उड़ रहे थे तो कुछ उसके आगे-पीछे नाच रहे थे. पर एक बात जो सभी में समान थी वह यह कि सबके पैर उल्टे थे. एक बार अनरिया नाम का आदमी अपने गांव को लौट रहा था कि तभी उसकी मुलाक़ात भूत-भिसौंड़ों के इस दल से हुई. अनरिया खूब साहसी था उसने भूत-भिसौंड़ों का डटकर सामना किया और उनके राजा को अपने कब्जे में ले लिया. भूत-भिसौंड़ों के खूब डराने के बाद भी उसने उसे अपनी बाहों के जोर से उसे तबतक जकड़कर रखा जब तक उसने हार मानकर यह न कहा कि वह क्या चाहता है? अनरिया ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर भूतों के राजा से कहा कि एक अल्मोड़ा के दूसरे कोने के गांव खत्याड़ी का सारा पोस्सा (गोबर की खाद) उसके गांव के खेतों में आ जाये और दूसरा उसके गांव के खेतों में मडुवे की बढ़िया से गुड़ाई हो जाये. भूतों के राजा ने हांमी भरी तो जाकर अनरिया ने भूत-भिसौंड़ों के राजा को छोड़ा. अगली सुबह जब अनरिया ने अपने घर का दरवाजा खोला तो क्या देखता है. पूरे गांव में बढ़िया कर पोस्सा पड़ा है फिर वह अपने मडुवे के खेतों की ओर गया. अरे, उसने क्या देखा, सारे के सारे मडुवे के पेड़ उखाड़कर घास-पूस के साथ रखे हैं. उसे भूत-भिसौंड़ों पर खूब गुस्सा आया. पिछले रात की जीत के बाद उसे भूत-भिसौंड़ों का ख़ास डर तो रहा नहीं. उसने दिन ढलने का इंतजार किया और अँधेरा होने पर एक डंडा लेकर चल दिया नदी किनारे. भूत-भिसौंड़ों का झुण्ड उस रात फिर आया. उसने अपना डंडा निकाला और सीधा राजा की गर्दन दबोच ली. ऊँची आवाज में अनरिया ने बड़े तिरस्कार भरे स्वर से राजा को उसके किए नुकसान के लिये डांट लगाई. भूत-भिसौंड़ों का राजा डर गया और कहने लगा- हमें नहीं पता था कि मडुवे की गुड़ाई कैसे करते हैं, उनके द्वारा यह गलती अनजाने में हो गयी. अनरिया ने भूत-भिसौंड़ों के राजा को उसकी बेवकूफी के लिये खूब गालियाँ दी और उसे मडुवे की गुड़ाई करना सिखाया. अबकी बार छोड़ने से पहले अनरिया को भूतों के राजा ने वचन दिया कि वह उसे और उसकी पीढ़ी को ऐसी शक्ति दे रहा है जिससे अगर कोई भूत-भिसौंड़ किसी आदमी से चिपट जाये तो वो लोग उसे भगा सकते हैं और भविष्य में सभी भूत-भिसौंड़ों उनकी सेवा में रहेंगे. अगली सुबह जब अनरिया उठा तो उसने देखा कि उसके गांव में सभी के खेतों में मडुवे की अच्छी तरह से गुड़ाई हुई है. इस घटना के बाद से ही अनरिया और उसकी पीढ़ी के लोगों ने भूत-भिसौंड़ों भगाने में महारत हासिल कर ली थी.
यह कथा ई. शर्मन ओकले और तारादत्त गैरोला की 1935 में छपी किताब ‘हिमालयन फोकलोर’ से ली गयी है. मूल अंग्रेजी से इसका अनुवाद गिरीश लोहनी ने किया है. काफल ट्री से साभार

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