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बागेश्वर

संगोष्ठी में वक्ताओं ने विभिन्न लुप्त होती क्षेत्रीय भाषाओं पर व्यक्त की चिंता

सीएन, बागेश्वर। डायट बागेश्वर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी, शिक्षा में मातृभाषा अवसर एवं चुनौतियां विषय पर देश के विभिन्न हिस्सों से यहां विषय विशेषज्ञ पहुंचे। एनईपी 2020 के आलोक में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने विभिन्न लुप्त होती क्षेत्रीय भाषाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मातृभाषा को अधिक महत्व से अपने पाठ्यक्रम में समाहित करेगी। संगोष्ठी में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. आशुतोष कुमार ने कहा कि मातृभाषा पर बच्चे की अच्छी पकड़ होती है। वह विषयों को बेहतर समझ सकता है। मातृभाषा ही मौलिक लेखन, चिंतन या रचनात्मकता को पैदा करती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आज भी राजकाज और सभी प्रकार के शासकीय कार्यों की भाषा अंग्रेजी ही बनी हुई है। जबकि बार-बार विभिन्न नीतियां मातृभाषा की महत्ता को उजागर करती है। ऐसे में यह आवश्यक है की मातृभाषा को राजकाज की भाषा में शामिल किया जाए। संगोष्ठी में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनिल कार्की ने कहा कि प्रारंभिक कक्षाओं में बच्चों को मातृभाषा में अभिव्यक्ति का सम्मान देना होगा। पाठ्यचर्या में मातृभाषा स्थानीय बोली आधारित बहुभाषिक पाठ्यचर्या अपनाई जा सकती है। बच्चों की पकड़ विषय पर भी बेहतर हो सकती है। राष्ट्रीय संगोष्ठी में समापन दिवस पर डाइट के प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र धपोला ने कहा कि अपनी भाषा का आदर होना चाहिए। छोटे बच्चों से घर, परिवेश और विद्यालय पर भी बात आदि में स्थानीय भाषा को महत्व देना होगा। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन में मातृभाषा का प्रयोग ही मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन का बेहतर तरीका है।  राष्ट्रीय संगोष्ठी में जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, दिल्ली के अलावा विभिन्न प्रांतों के शोधार्थियों ने प्रतिभाग कर 22 शोधपत्र प्रस्तुत किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस प्रकार के राष्ट्रीय सेमिनार, विद्वानों और विषय विशेषज्ञों को चिंतन, मनन का अवसर प्रदान कर समस्या के सामूहिक समाधान की ओर बढते हैं जो कि एक अच्छा कदम है। कार्यक्रम में पहरू पत्रिका के संपादक डा. हयात सिंह रावत, गोपाल दत्त पंथ, संजय पूना, बलवंत काला कोटी, हेम जोशी, प्रेम उपाध्याय, डॉ प्रेम सिंह मावड़ी, डॉ बी. डी. पांडे, दीप पांडे, संदीप कुमार जोशी, आदि उपस्थित रहे ।

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