चमोली
जय बद्री विशाल के नारों के बीच खुले बदरीनाथ धाम के कपाट, हुई पुष्प वर्षा, पीएम मोदी के नाम से पहली पूजा
जय बद्री विशाल के नारों के बीच खुले बदरीनाथ धाम के कपाट, हुई पुष्प वर्षा, पीएम मोदी के नाम से पहली पूजा
सीएन, बद्रीनाथधाम। पिछले कई दिनों से चार धाम यात्रा की तैयारियां जोरों से चल रही है। सबसे पहले 22 अप्रैल 2023 को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए थे। जिसके बाद 25 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुले। आज तीनों धाम के कपाट खुलने के बाद चार धाम बद्रीनाथ के द्वार भी खुल गए हैं। चारों धाम के कपाट खुलने के बाद चार धाम की यात्रा 2023 पूरी तरह शुरू हो चुकी है। आज 27 अप्रैल 2023 को बद्रीनाथ धाम के कपाट मंत्रोच्चार और विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद खोले गए। बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 7.10 बजे खुल गए। मंदिर को 15 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। वैदिक मंत्रोच्चार व पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना के बाद सेना की सुमुधुर ध्वनि और जयकारों के बीच बद्रीनाथ धाम का कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना न था। भगवान बद्री के जयकारे से पूरा आसमान गूंज गया। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले भारी बर्फबारी शुरू हो गई थी। इस साल भी पहली पूजा और आरती देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई। कपाट खुलने से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद मंदिर पहुंच गए थे। आज सुबह भारी बर्फबारी के बीच धाम के कपाट खोले गए। हालांकि खराब मौसम के बाबजूद श्रद्धालुओं की भक्ती में कोई कमी नहीं रही। लोग बाबा के जयकारे लगाकर नाचते गाते नजर आए। मंदिर के कपाट खुलने के बाद पहली आरती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर धाम को 15 टन से भी अधिक फूलों से सजाया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार 12 महीने भगवान विष्णु जहां विराजमान होते हैं, उस सृष्टि के आठवें बैकुंठ धाम को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि, भगवान विष्णु यहां 6 महीने विश्राम करते हैं और 6 महीने भक्तों को दर्शन देते हैं।दूसरी धार्मिक मान्यता यह है कि, साल के 6 महीने मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो बाकी के 6 महीने यहां देवता भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। जिसमें मुख्य पुजारी खुद देवर्षि नारद होते हैं। बद्रीनाथ के कपाट खुलने से अब पूरी तरह चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है। परंपरा अनुसार, इस दिन का चयन टिहरी नरेश करते हैं। बताया जाता है कि, जिस तारीख से वैशाख शुरू हो वही तिथि से बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं।