नैनीताल
नकारात्मक ट्रॉन्सफॉरमेशन हेतु असंवेदनशील शहरीकरण, रिवर सिस्टम को बचाना सबसे बड़ी चुनौती
सीएन, नैनीताल। डा.आर.एस. टोलिया प्रशासन अकादमी, नैनीताल में Urbanization and Develpoment in Fragile Mountain Ecosystem विषय पर दो दिवसीय कॉन्क्लेव आयोजित की गयी। अस्थिर पवतीय पारितन्त्र के शहरीकरण व विकास पर विभिन्न देश, राज्य से आये हुए प्रतिनिधियों ने विस्तार से चर्चा की। बेहतर शहरीकरण व सतत विकास हेतु अपने देश व राज्य में लागू किये गई योजनाओं की भी जानकारी दी। कॉन्क्लेव का उद्घाटन मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। रा.बा.इ.का. सूखाताल, नैनीताल की बालिकाओं द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति की गयी। कॉन्क्लेव में 04 देश जापान, कोरिया,भूटान, नेपाल , 05 राज्य के हिमाचल, नई दिल्ली, मिजोरम, नागालैण्ड तथा सिक्किम सहित 30 शहरों के 120 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। महानिदेशक, उत्तराखण्ड प्रशासनिक अकादमी बी.पी. पाण्डे ने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के कारण शहरी क्षेत्रों में चुनौतियां भी बढ़ती जा रही है। शहरी क्षेत्रों के साथ ही पैरीअर्बन एरिया में समय की आवश्यकताओं के दृष्टिगत् बदलाव, स्वच्छता व्यवस्थाओं एवं पर्यटकों के बढते फूटफॉल के कारण आवश्यक ढाँचागत सुविधाओं तथा पार्किंग निर्माण आदि पर चर्चा की गयी। विगत 2 दशकों में उत्तराखण्ड के पर्यटन क्षेत्रों में पर्यटकों के बढ़ते दबाव एवं उसके पर्यावरणीय प्रभाव के अध्ययन की आवश्यकताओं पर बल दिया गया, साथ ही उत्तराखण्ड की परम्परागत वॉटर बॉडिज, जल स्त्रोत, नौले के अस्तित्व के संकट पर चिंता व्यक्त की गयी व प्रभावी मैकेनिजम बनाने पर बल दिया गया। चौयरपर्सन, हाई लेवल कमेटी, शहरी मंत्रालय, भारत सरकार केशव वर्मा, द्वारा बताया गया कि पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते दबाव के कारण नकारात्मक ट्रॉन्सफॉरमेशन हेतु असंवेदनशील शहरीकरण, रिवर सिस्टम को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए अन्तराष्ट्रीय अनुभवों को साझा किया गया जिससे चुनौतियों से पार पाया जा सकता है। कार्यशाला में कोरिया, जापान, भूटान व नेपाल से आये विषय विशेषज्ञों ने बताया कि समेकित नियोजन व क्रियान्वयन से बेहतर शहरीकरण व आपदा के खतरे को कम किया जा सकता है। उन्होंने अपने देश में सरकार द्वारा भूस्खलन कम करने, घरेलू पर्यटन को व्यवस्थित करने, स्लोप का मोडिफिकेशन करने आदि की जानकारी दी। नगरनिगम हल्द्वानी व केदारनाथ यात्रा मार्ग पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में जनसहभागिता से किये गए सफल प्रयास की सराहना की गई व अन्य जगह भी लागू किये जाने पर जोर दिया गया। जो कि सिविल सोसाइटी का बेहतर उपयोग करके मानव संसाधन की कमी को पूरा करता एक उदाहरण है। उत्तराखण्ड राज्य में केदारनाथ यात्रा में जिला प्रशासन द्वारा यात्रा मार्ग में प्रत्येक प्लास्टिक बॉटल्स हेतु जारी क्यू आर कोड अर्थात डी आर एस (डिजिटल डिपॉजिट रिफण्ड सिस्टम) कार्य योजना को साझा किया। उपजिलाधिकारी केदारनाथ जितेंद्र वर्मा ने बताया कि यात्रा मार्ग में प्रत्येक दुकानदार के लिए अनिवार्य है कि वह पानी की बोतल में क्यू आर कोड लगाए जिसे वापसी के समय यात्री को खाली बॉटल की वापसी पर 10 रूपए लौटा दिए जाते है अन्यथा घोड़ा खच्चर व स्थानीय लोगों द्वारा बोटल के जमा करने पर उन्हें वह धनराशि दी जाती है। नगर निगम हल्द्वानी द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन हेतु शुरू की गई बैणी सेना के कार्यों को मुख्य नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय द्वारा शार्ट फ़िल्म के माध्यम से बताया गया । उन्होंने बताया कि आम जन की नगर निगम तक आसानी से पहुँच हो, इसके साथ ही जनसहभागिता से बहुआयामी प्रयास हेतु बैणी सेना का शुभारंभ किया गया। एक ओर 57 वार्ड की सेवा के जिम्मा 570 महिलाओं ने बखूबी निभाया, वही दूसरी ओर महिला सशक्तीकरण हेतु भी अभिनव प्रयास रहा। कुल यूजर चार्ज का 25 प्रतिशत इन महिलाओं को इंसेंटिव के रूप में दिया गया। साथ ही नगर निगम का यूजर चार्ज प्रत्येक माह 06 लाख से बढ़कर 35 लाख हुआ कार्यशाला में पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पाण्डे, प्रैक्टिस मेैनेजर वर्ल्ड बैंक आभास झा, सचिव शहरी विकास दीपेन्द्र कुमार चौधरी, कोरिया के डा0 सैंग क्योन ली, महानिदेशक आईसीमोड नेपाल डा0 पेमा ग्याम्स्टों, अपर सचिव नवनीत पाण्डे, अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पाण्डे, नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय सहित विभिन्न शहरों के प्रतिभागी उपस्थित थे।
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