नैनीताल
इन दिनों पहाड़ों में मौसम के तेवर देख काश्तकारों की चिन्ता बढ़ी
-सिंचाई सुविधा अधिक नहीं होने से पहाड़ों में 80 प्रतिशत कृषि वर्षा पर निर्भर
सीएन, नैनीताल। उत्तरांखड में इस बार भी मौसम के तेवर की पुनरावृत्ति होने से खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्र के काश्तकारों व बागवानों की चिन्ता बढ़ने लगी है। वर्षा ऋतु खत्म होने के बाद अब तक वर्षा नहीं होने से कृषि व बागवानी प्रभावित हो सकती है। उपराऊ कृषि क्षेत्रों में अब तक रबी की फसल की बुआई की तैयारी तक नहीं हो सकी है। बागवानी के लिए वर्षा व ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी इन दिनों आवश्यक होती है। लेकिन वह दूर-दूर तक नहीं है। पर्वतीय क्षेत्र में दिसम्बर माह से रबी की फसल बुआई का कार्य शुरू होता है। वहीं बागवानी के तैयारी भी इन्हीं दिनों की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए बागानों में इन दिनों नमी के लिए वर्षा व बर्फबारी की भी जरूरत होती है। लेकिन अभी तक वर्षा ऋतु के बाद वर्षा नहीं हो पाई है। इस बार पिछले मौसम की तरह पुनरावृत्ति होने की आशंका काश्तकारों में बनी हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा अधिक नहीं होने से यहां 80 प्रतिशत कृषि व बागवानी वर्षा पर निर्भर है। लेकिन पिछले तीन वर्षों से रूखे मौसम ने काश्तकारों की कमर ही तोड़ दी है। वर्तमान में जब रबी की फसल बोने का समय आ चुका है तो उपराऊ क्षेत्र के काश्तकार आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए है। किसानों ने अब तक खेतों की जुताई तक नहीं की है। गढ़वाल व कुमाऊं के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फवारी हो चुकी है। लेकिन मध्य हिमालय क्षेत्र अभी सूखा पड़ा है।
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इस बार मध्य हिमालय क्षेत्र में मामूली बर्फबारी की संभावना : डा. कोटलिया
नैनीताल। गुफाओं से प्राप्त लिंगों से जर्मनी के वैज्ञानिकों के साथ मौसम परिवर्तन पर शोध कर रहे यूजीसी के वैज्ञानिक डा. बहादुर सिंह कोटलिया ने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में हिमपात मामूली होगा। मौसम चक्र के हिसाब से इस बार शीतकाल में उच्च हिमालयी हिस्सों में बर्फबारी के भी संकेत है। गढ़वाल व कुमाऊं के ऊंचाई वाले इलाकों में वर्षा व बर्फवारी हो चुकी है। मध्य हिमालय क्षेत्रों में वर्षा होगी लेकिन अच्छी बर्फबारी होने की संभावना नहीं है।