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नैनीताल

पौष्टिकता के लिए प्रसिद्ध मडुवा व गहत की बाजारों में बढ़ी मांग

पौष्टिकता के लिए प्रसिद्ध मडुवा व गहत की बाजारों में बढ़ी मांग
गहत 150 रूपये किलो व मडुवा 40 से 50 रूपये प्रति किलो में उपलब्ध
सीएन, नैनीताल।
सरकार द्वारा पहाड़ी दालों व अनाजों का समर्थन मूल्य तय किया लेकिन सच यह है कि अधिक उत्पादन नहीं होने के कारण काश्तकार अपना उत्पादन मंडी में कम बल्कि सीधे बाजारों में भेज रहे है। इन दिनों गहत व मडुवा सहित अन्य दालों की मांग बढ़ गई है। खासतोर पर गहत की मांग अधिक बनी हुई है। बाजार में गहत 150 रूपये से 160 रूपये तक उपलब्ध हो रहा है जबकि मडुवा का आटा 40 से 50 रूपये प्रति किलो उपलब्ध है। जबकि सरकार ने मडुवें का समर्थन मूल्य 35 रूपये 78 पैसे किलो तय किया है। अस्पतालों व स्कूलों में भी मडुवे के आटे की मांग तेजी से बढ़ रही है। मडुवें का उपयोग अब व्यवसायिक रूप से भी हो रहा है। मडुवें के चाकलेट सहित कई अन्य उत्पाद बाजारों में उपलब्ध हैं, लिहाजा बाजार में मडुवें की मांग तेजी से बडी है। मालूम हो कि जंगली जानवरों के भारी नुकसान के कारण पर्वतीय क्षेत्र में काश्तकारों ने खेती करना कम कर दिया था। जिस कारण मडुवा, कौड़ी, गहत, भट, सांवा, रामदाना व राजमा का उत्पादन भी कम हो गया। पिछले एक दशक से लगातार सरकार द्वारा इन दालों व अनाजों के उत्पादन पर फोकस करने व इनका उपयोग जलसों, महात्सवों, स्कूल व अस्पतालों में करने तथा उपभोक्ताओं की मांग के साथ ही इन अनाजों का समर्थन मूल्य तय करने पर इनकी मांग अचानक बढ़ गई। इस बार इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। यह फसल अब बाजारों में उपलब्ध है। काश्तकारों के उत्पादन पर पहली बार समर्थन मूल्य तय किया गया है। देखा गया है कि अधिकांश काश्तकार अपना उत्पादन सीधे बाजारों में भेज रहे है। जानकारी नहीं होने के कारण कम काश्तकार मंडी तक पहुंच रहे हैं। समझा जा रहा है कि यदि सरकार की ओर से फसलों की सुरक्षा के लिए स्थाई कदम उठाये तो आने वाले दिनों में स्थानीय व पारम्परिक फसलों के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। जानकारों का कहना है कि यदि सरकार की ओर से काश्तकारों की इन फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए और फसल उत्पादन के लिए कोई कारगर कदम उठाये जाते हैं तो यह फसलें काश्तकारों की आर्थिकी ही बदल सकते है।

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