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नैनीताल

गांव के उन रास्तों पर अब कोई नहीं चलता: वो पहाड़ी लड़का अब वापस चाहता है लौटना

गांव के उन रास्तों पर अब कोई नहीं चलता: वो पहाड़ी लड़का अब वापस चाहता है लौटना
राजीव पांडे, हल्द्ववानी।
छोटी-छोटी सड़कों ने पहाड़ों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इन सड़कों के कारण तमाम रास्ते बंद हो गए जो पहाड़ में समाज को जोड़ा करते थे। इन रास्तों से चलकर ही खुशी.गमी की खबरें एक गांव से दूसरे गांव पहुंचती थीं। इससे लोग एक.दूसरे से जुड़े रहते थे। पैदल चलने से होने वाली थकान हमें रास्ते में पड़ने वाले गांव को जानने का मौका देती थीं। इन रास्तों पर चलकर ही गांव.गांव लोग मिज्जु, संग्ज्यू जैसे रिश्ते बनाते थे। पहाड़ के तमाम गांवों में अब ऐसे रास्तों पर बेहिसाहब झाड़ियां और कभी न काटी जा सकने वाली घास उग आई है। लोग अब जीपों में सवार मोबाइल पर बात करते हुए सीधे घर पहुंच रहे हैं। मेरे गांव देवलथल से पैतृक गांव कुसानी जाने वाले रास्ते पर अब केवल पुष्कर दा चलता है। पुष्कर दा का देवलथल में होटल है। वे देवलथल और कुसानी के बीच पड़ने वाले तोक खोला में रहते हैं। साल में कई दिन ऐसे आते हैं जब इस रास्ते पर कोई नहीं चलता। पुष्कर दा भी जीप से चला जाता है। एक दौर में ये आम रास्ता था। देवलथल से जब कुसानी को चलते थे तो पहला गांव पीलपानी पड़ता था। पीलपानी में राजदा, दरपान दा, पुट्टु भाई, नैनदा और न जाने कितने लोगों को मैं पहचानता था, हम एक.दूसरे के दुख.सुख में शामिल रहते थे। लेकिन सड़क बनने के बाद मुझे पता नहीं ये लोग कहां होंगे। पीलपानी के बाद लोहाकोट, चरमालगांव, खोला के वे तमाम लोग छूट गए जो बड़ी आत्मीयता से बिन बुलाए मेहमान का स्वागत करते थे। इन सड़कों ने रिश्तों को प्रभावित करने के साथ ही प्राकृतिक रूप से भी पहाड़ को नुकसान पहुंचाया है। ये सड़कें जनता से ज्यादा नेता, अफसर और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए होती हैं। आप लोगों ने गौर किया होगा चुनाव के समय इस तरह की सड़कें कटने का काम और तेज हो जाता है। मेरे गांव में भी ऐसी कई सड़कें हैं जो बीते सालों में कटी हैं। सालों बाद लोग आज तक इन पर हिचकोले खा रहे हैं लेकिन इन सड़कों की आड़ में नेता जी ने खूब वोट काटे और ठेकेदार अफसरों ने नोट बांटे। मैं मानता हूं उस हर गांव तक सड़क पहुंचनी चाहिए जहां से हम कुछ बाहर ले जा सकें। गांव में पहुंचने वाली सड़क ऐसी होनी चाहिए जो अपने साथ रोजगार लेकर आए। इन सड़कों से हम अपने उत्पाद बाहर ले जा सकें। यही वजह हैं कि पहाड़ में तमाम सड़कें काटने के बावजूद लोग गांव में नहीं रुक रहे हैं। वोट के लालच में बनायी जा रही है ये सड़कें आगे भी नुकसान ही पहुंचाएंगी।
राजीव पांडे की फेसबुक वाल से, राजीव पांडे दैनिक हिन्दुस्तान, कुमाऊं के सम्पादक हैं।

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