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नैनीताल

अब सूर्खियों में आया नेप्च्यून : वेब का करिश्मा

अब सूर्खियों में आया नेप्च्यून : वेब का करिश्मा
सीएन, नैनीताल। हमारे सौरमंडल के दूर का ग्रह नेप्च्यून इन दिनों फिर चर्चाओं में है और इस बार इसे चर्चा में लाने का काम किया है आसमानी दूरबीन जेम्स वेब स्पेस टेलेस्कोप ने किया है। वेब ने इसकी मनमोहक तस्वीर पहली बार हमारे सामने रखी हैं। तस्वीर में नेप्च्यून की रिंग्स सुंदरता नजर साफ नजर आ रही है। नेप्च्यून को हम अभी तक पृथ्वी की तरह गहरे नीले रंग में नजर आता है। मगर वेब ने बर्फ से आच्छादित चमकते रंग में इसे दिखाया है, जो डायमंड की तरह खूबसूरत नजर आ रहे हैं।
1846 में खोज हुई थी नेप्च्यून की
नेपच्यून की खोज1846 में हुई थी। अपनी खोज के बाद से ही वैज्ञानिकों के आकर्षण में आ गया और पृथ्वी से बहुत दूर होने के बावजूद ग्रहों को लेकर शोध करने वालों का केंद्र बन गया। यह ग्रह पृथ्वी की तुलना में सूर्य से 30 गुना दूर स्थित है। बता दें कि पृथ्वी व सूर्य के बीच दूरी 15 करोड़ किमी है। इसका तीस गुना अधिक दूरी का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। नेपच्यून बाहरी सौर मंडल के दूरस्थ अंधेरे क्षेत्र में सूर्य की परिक्रमा करता है। इतनी दूरी पर मौजूद होने पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूर्य का कितना प्रकाश उस तक पहुंचता होगा। कुल मिलाकर यह बेहद ठंडा ग्रह है, जो बर्फ से ढका हुआ है और मिथेन गैस के कारण नीले रंग का नजर आता है।
हाइड्रोजन और हीलियम भारी मात्रा में है मौजूद
इसके आंतरिक भाग में रासायनिक तत्वों की बात करें तो यह ग्रह विशाल ग्रह बृहस्पति और शनि की तुलना में नेपच्यून में हाइड्रोजन और हीलियम से भारी मात्रा में मौजूद हैं। साथ ही मिथेन की मात्रा भी काफी है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप नेप्च्यून ग्रह के छल्ले के सबसे स्पष्ट दृश्य को उजागर किया है। साथ ही बर्फ से ढके विशालकाय को पूरी तरह से नई रोशनी में दिखाता है। जिस कारण यह तस्वीरें अद्भुत नजर आती हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण इसके वलयों का शानदार नजारा दिख रहा है, जो देखने में इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक हेइडी हैमेल कहते हैं, कि हमने इस ग्रह के आखिरी बार बेजान, धूल भरे छल्ले को पहली बार देखा है । यह तस्वीर इन्फ्रारेड में है। वेब की स्थिरता व सटीक कार्य प्रणाली का कोई सानी नहीं। जो बेजोड़ तस्वीर लेने की क्षमता रखता है। नेप्च्यून के इतने करीब कमजोर छल्ले का पता लगाने की अद्भुत क्षमता को दर्शाता है।
दूर के चंद्रमाओं के खुलेंगे कई रहस्य
वेब ने , न केवल नेप्च्यून की तस्वीर ली हैं, बल्कि उसके सात चंद्रमाओं को भी अपने कैमरे में कैद किया है, जो वास्तव में आश्चर्यजनक है। इन उपग्रहों के नाम क्रमशः गैलाटिया, नायद, थलासा, डेस्पिना, प्रोटियस, लारिसा और ट्राइटन हैं। ये बड़ी बात है कि सात ग्रहों की स्पष्ट तस्वीर लेने में वेब को कामयाबी मिली है। जिसके चलते इसके चंद्रमाओं का अध्ययन कर पाना आसान हो जाएगा। इससे निचित ही दूर के उपग्रहों के कई जानकारी हमे मिलेगी। नेप्च्यून का बड़ा और असामान्य चंद्रमा ट्राइटन है। जान लें नेप्च्यून के अभी तक 14 उपग्रहों का पता चल सका है। वैज्ञानिक मानते हैं कि संभवतः इसके और भी उपग्रह हो सकते हैं।
खास पहचान बनाली नेपच्यून ने
अपने वलयों को लेकर शनि ग्रह सोलर सिस्टम में खास पहचान रखता है, लेकिन यहां नेपच्यून के सफेद रंग में रंगे छल्ले कुछ ही कहानी बयान करते नजर रहे हैं, जैसा कह रहे हों कि भला हम जैसा कोई और कन्हा। यह वेब का नियर-इन्फ्रारेड कैमरे का कमाल है। जो (NIRCam) 0.6 से 5 माइक्रोन तक के निकट-अवरक्त रेंज में तस्वीरों को कैमरे में कैद करने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि नेपच्यून वेब को नीला दिखाई नहीं देता है। यह वास्तव में मीथेन गैस लाल और अवरक्त प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।
चंद्रमा ट्राइटन का रहस्य
ट्राइटन नेप्च्यून की एक असामान रूप से दूर की कक्षा में परिक्रमा करता है। जिस कारण खगोलविदों ने अनुमान लगाया कि यह चंद्रमा मूल रूप से एक कुइपर बेल्ट वस्तु थी । जिसे नेप्च्यून ने अपने गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से अपनी ओर खींच लिया । अब अगले साल वेब फिर से ट्राइटन और नेपच्यून की तस्वीरें लेगा। जिससे इन दोनों के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा सकेगी।
श्रोत व फोटो : NASA, ESA, CSA, STScI

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