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नैनीताल

तिब्बत को नापने वाले पंडित नैन सिंह रावत स्मृति व्याख्यान आयोजित

सीएन, नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में 15वे हिमालय और तिब्बत को नापने वाले पं. नैन सिंह रावत स्मृति व्याख्यान आयोजित किया गया। इस दौरान पं. नैन सिंह रावत के भौगोलिक सर्वेक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय योगदान को याद किया गया। भूगोल विभाग के अध्यक्ष पो. आरसी जोशी ने सभी का स्वागत किया। भूगोल विद प्रो. जेएन पाण्डे ने भारतीय संस्कृति पर व्याख्यान दिया। प्रो पांडे ने कहा कि भारत की सभ्यता ने इसे अलग एवं श्रेष्ठ बनाया है। उन्होंने शहर के नाम पर बाद तथा पुर लगाने के पीछे अंग्रेजों के सोच को बताया। प्रो. पांडे ने कहा कि भारत पर आतताइओं ने हमले करे पर भारत जो विविधता का देश है वो कभी कमजोर नही हुआ। एमबीपीजी कॉलेज के प्रो. बीआर पन्त ने पंडित नैन सिंह के कार्यों पर प्रकाश डाला। निदेशक विजिटिंग प्रोफेसर प्रो. ललित तिवारी ने पं. नैन सिंह रावत स्मृति पर प्रो. जेएन पांडे को शॉल उड़ाकर सम्मानित किया। बता दें कि पं. नैनसिंह रावत का जन्म 21 अक्टूवर 1830 को जोहार घाटी के मिलम गॉव में हुआ था। नैन सिंह रावत ने 19वीं शताब्दी में तिब्बत को पैदल नापा था। उन्होंने हिमालय की लंबी-लंबी पैदल यात्राएं कर दुनिया के सामने तिब्बत का नक्शा तैयार किया था। नैन सिंह रावत ने ब्रह्मपुत्र नदी के साथ लगभग 800 किलोमीटर पैदल या़त्रा की और ये पता लगाया कि स्वांग पो और ब्रह्मपुत्र एक ही नदी है। ल्हासा की समुद्रतल से ऊचाई एवं अक्षांश देशान्तर क्या है? सबसे पहले दुनिया को बताया। पैदल सर्वे करने वाले नैन सिंह को अंग्रेजो ने उस दौर में बड़े माने जाने वाले काम्पेनियन इंडियन अवार्ड से सम्मानित किया था। रायल ज्योग्राफीकल सोसाइटी द्वारा दिए जाने वाले सम्मान विक्टोरिया स्वर्ण पदक पाने वाले वह पहले भारतीय थे। कार्यक्रम में डॉ. मोहन लाल, डॉ. गोकुल सत्याल, डॉ. मसूम रेज़ा, डॉ. रेखा विसनोई, लक्ष्मण आदि मौजूद रहे।

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