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नैनीताल

लोगों को हर बच्चा-मेरा बच्चा के भाव के साथ अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी : गीता

सीएन, नैनीताल। अध्यक्ष उत्तराखंड बाल विकास संरक्षण आयोग डा. गीता खन्ना की अध्यक्षता में गुरुवार को जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में बाल तस्करी से आजादी 2.0 अभियान विषय में बैठक का आय़ोजन किया गया। बैठक में मुख्य रुप से
बाल तस्करी, चाइल्ड हैल्प लाइन, प्रताडित,लावारिस, खोए हुए बच्चे, बाल संरक्षण निराश्रित बच्चे, शिक्षा आदि विषय पर चर्चा की गई। डा. गीता खन्ना ने बताया कि बाल तस्करी, शिक्षा,किशोर न्याय के लिए पुलिस तंत्र, श्रम के अलावा अन्य विभागों को भी सहयोग करना चाहिए। लोगों को हर बच्चा – मेरा बच्चा के भाव के साथ अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।यह जिम्मेदारी व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि समाज की है। कहा कि किसी प्रकार की भी बाल तस्करी, बाल श्रम, बाल विवाह, भिक्षा वृ्त्ति आदि को रोकने के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में जागरुकता अभियान चलाना जरुरी है। जिसमें विद्यालय, बाल मित्र थाना, स्वास्थ्य विभाग, सरकारी योजनाओं के माध्यम से भी बाल श्रम, ड्रग, अपराध, तस्करी आदि को रोका जा सकता है। बताया कि बाल तस्करी,अपराध के शिकार सिर्फ कमजोर वर्ग ही अन्य समाज के हर के परिवार या बच्चे भी हैं। जिसको रोकने के लिए पुलिस ही नहीं सभी की सहभागिता जरुरी है। बताया कि बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, राज्य- अंतराष्ट्रीय बाडर, होटल, धर्मशाला आदि इलाकों में बाल तस्करी की संभावना ज्यादा रही है। तस्करी के बाद बच्चों को कम्पनियों, होटलों, स्पा सेंटरो, ड्रग सप्लाई आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। कहा कि ऐसे इलाकों में पुलिस, खुफिया तंत्र समेत अन्य विभागों को सतर्क रहने की आवश्यता है। साथ बच्चों के खोए-घर नहीं या अन्य परिस्थितियों में चाइल्ड हैल्प लाइन नंबर 1098 में सपंर्क कर सकते हैं। बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि एनसीपीसीआर ने भारत के 100 जिलों को चिह्नित किया है। जिनमें बाल तस्करी की संभावना ज्यादा है। जिसमें उत्तराखंड राज्य के सात जिले चिह्नित किए हैं, जिसमें बाल तस्करी की होने की संभावना है। इसी क्रम में पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, नैनीताल जिलों में बाल तस्करी की ज्यादा संभावना हैं, इन जिलों में बाल तस्करी रोकने के लिए बैठक और जागरुकता अभियान चलाया जा चुका है।साथ ही एनसीपीसीआर द्वारा 1 से 30 जून तक पूरे भारत वर्ष में बाल श्रम मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही जो परिजन बच्चों के शिक्षा या अन्य पूर्ति करने में असमर्थ हैं ऐसे बच्चों को चिह्नित कर शिक्षा, संरक्षण आदि की व्यवस्था की जाएगी। जिसके लिए हर जिले में टास्क फोर्स का गठन किया गया है।व्यवहार में बदलाव हो तो सतर्क रहें परिजन- डा खन्ना बताया कि पहले समय में बच्चों का दायरा परिवार तक ही सिमित था, लेकिन आज के आधुनिक समय में बच्चा समाज से जल्दी जुड़ता है। जिससे बच्चों का व्यवहार में परिवर्तन होता है, ऐसी स्थिति में परिजनों को सतर्क रहने की जरुरत है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अगर स्वभाव,पहनावे, खेलकूद, खान पान या परिजनों को समय नहीं देना या मोबाइल का प्रयोग अधिक करना आदि ऐसी स्थिति होती है, तो परिजनों को बच्चों की घर में काउंसिलिंग करने की आवश्यता है।। इस दौरान बैठक में एडीएम पी आर चौहान, एसपी सिटी प्रकाश चंद्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी वर्षा आर्या,डा. एस के सिंह, सीएमओ डा. श्वेता भंडारी, एसआई रजनी आर्या, एसआई नीतू सिंह, एसआई पूजा मेहरा समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।

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