नैनीताल
नैनीताल सेटलमेंट पर विशेषः181 साल की हो गई खूबसूरत सरोवर नगरी
1841 को नैनीताल की खोज व 1842 में लूसिंग्टन ने सेटलमेंट के तहत बसाया था
बसासत से पूर्व धार्मिक स्थल में एक बार मेले में जुटते थे आसपास के ग्रामीण
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। शुक्रवार को सरोवर नगरी के सेटलमेंट के 181वर्ष पूरे होंगे। नगरवासी हैम्पी बर्थ डे टू यू नैनीताल कहेंगे। शाहजहांपुर के अंग्रेज शराब व्यवसाई पी बैरन ने 18 नवम्बर 1841 को नैनीताल की खोज की थी। जबकि 1842 में चैथे कुमाऊं कमिश्नर जार्ज थामस लूसिंग्टन ने अधिकारिक रूप से नैनीताल को यूरोपियन सेटलमेंट के तहत बसाया था। तभी से लोग इस दिन नैनीताल का जन्मदिन मनाते है। 1841 में नैनीताल में मानव बस्तियां नहीं थी। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार नैनीताल तब विशुद्ध धार्मिक स्थान था। यहां झील किनारे देवी मंदिर था। आस पास के गांवों के लोग साल में एक बार मेले में जुटते थे। नैनीताल बेलुवाखान ग्राम निवासी थोकदार नर सिंह के स्वामित्व में था। बिड़ला चुंगी के रास्ते अंग्रेज व्यापारी पी बैरन जब नैनीताल पहुंचा तो वह यहां की खूबसूरती पर निहाल हो गया। उसने नैनीताल का जिक्र लेख में आगरा से प्रकाशित अखबार में किया। उसने लिखा अल्मोड़ा के पास एक खूबसूरत स्थान है, जहां स्वच्छ झील व घना वन है, जो इंग्लैंड की याद दिलाता है। इस तरह नैनीताल ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए महत्वपूर्ण बन गया। बैरन ने थोकदार नर सिंह को नैनी झील में नाव पर ले जाकर डराया और कागजों पर हस्ताक्षर करा नैनीताल को कपनी के नाम करा दिया। फिर उसने पिलग्रिम नामक भवन का निर्माण कर रहना शुरू कर दिया। इस तरह नैनीताल में मानव बस्तियों की शुरूआत हुई। इन 181 वर्षों में नैनीताल में कई परिवर्तन आए। नैनीताल की अटूट सद्भावना को बनाए रखने के लिए ताल चैनल के एमडी मारूति साह व डायरेक्टर ईला साह, दीपक बिष्ट ने कुछ वर्ष पहले 18 नवम्बर को जन्मदिन की परंपरा शुरू की।
नगर की भलाई के लिए जन्मदिन
नैनीताल। जन्मदिन कार्यक्रम के आयोजक मारूति साह जन्मदिन मानने की परंपरा को शहर व बाशिंदों की भलाई का उद्देश्य मानते हैं। कहते है कि नैनीताल का अस्तित्व सदियों से रहा है, लेकिन उसका सरकारी दस्तावेजीकरण बैरन ने किया। 18 नवंबर शहर की खुशहाली व हरियाली को बचाने का संकल्प दिवस भी है।
मानवीय भूलों का दंश झेल रहा नैनीताल
नैनीताल। विश्व के पर्यटन नक्शे अंकित नैनीताल शहर भूंकप व भूस्खलन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। इसके बावजूद की गई माननीय भूलों का दंश शहर आज भी झेल रहा है। अंग्रेज स्वच्छ झील व खूबरसूरत शहर की जो विरासत छेाड़ गए, वह आज गायह है। शहर में रोक के बावजूद डेजर जोन तक में निर्माण हो रहे है। शहर की हरियाली व जमीवनदायिनी झील खतरे में है। 90 के दशक में वैध-अवैध निर्माण की बाढ़ आने पर नैनीताल बचाओं संघर्ष समिति के बैनर तले जबदस्त आंदोलन हुआ था। तब की उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव विजेन्द्र सहाय की अध्यक्षता समिति गठित की। नौ मार्च 1995 को अजय रावत बनाम यूपी सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तर्ज पर 31 मार्च 1995 को सहाय समिति ने भी रिपोर्ट दी। नैनीताल में इन निर्देशों का कोई पालन नहीं हुआ। नालों पर होटल बना दिए गए। आज भी ग्रीन बेल्ट व असुरक्षित क्षेत्रों में निर्माण जारी है। प्रो. अजय रावत 2005 में पुनः सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पूर्व के निर्देशों का अनुपालन करने के निर्देश दिए, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं हुआ। प्रो. रावत आज भी अदालतों में कानूनी संघर्ष कर रहे है।
महाविनाशकारी था भूस्खलन
नैनीताल। 18 सितम्बर 1880 को नैनीताल में पहला महाविनाशकारी भूस्खलन हुआ। लगातार तीन दिन तक 50 से 60 इंच वर्षा हो चुकी थी। हल्के से भूकंप के झटके महसूस होने के बाद वर्तमान रोप-वे की आल्मा पहाड़ी आठ सेंकेड में पिघलते लावे की तरह नीचे आ गई। विशाल विक्टोरिया होटल मि. बेल की बिसातखाने की दुकान वास्तविक नैना देवी मंदिर, धर्मशाला दब गए। भूस्खलन में लगभग 151 लोगों की मौत हुई जिसमें 108 भारतीय व 43 यूरोपियन शामिल थे। हादसे के बाद अंग्रेजों ने 1890 तक 65 नालों का निर्माण कराया, जिन्हे शहर की धमनियां कहा गया। वर्तमान में भी वैध अवैध निर्माण व व्यावसायिक अंधेपन के कारण आधे से अधिक से नालों व सहनालों पर अतिक्रमण कर उन्हें बंद कर दिया गया है।
अंग्रेजों के शहर में होता था कुमाऊंनी का प्रयोग
नैनीताल। सरोवर नगरी में जब अंग्रेजियत हावी थी तब भी शहर में छपे निमंत्रण कार्डो में कुमऊंनी में आमंत्रण दिया जाता था। 1913 में बंटा कार्ड आज भी साह परिवार की चैथी पीढ़ी के पास मौजूद है। यह आमंत्रण चैथाई अन्नी के सरकारी पोस्टकार्ड पर दिया था। कार्ड में आमंत्रण के ऊपर आज की तरह केवल भगवान गणेश ही नहीं, बल्कि दो महिलाएं, त्रिशूल व कमल पुष्प का प्रतीक भी अंकित है। तल्लीताल बाजार के 192 नंबर मकान में व्यवसायी मनोज साह के पास यह कार्ड सुरक्षित है। दूसरी और कुमाऊंनी बोली में नंदलाल साह ठुलधरिया की ओर से आमंत्रण पत्र में लिखा गया है-आधा वैशाख 17 गते मंगलवार 29 अप्रैल 1913 का दिन मेरा पौत्र चिरंजीवी गोविद लाल को विवाह छ चार बजिया सायंकाल बरात कृष्णापुर बट तल्लीताल जाली, दूसरा दिन सांयकाल वापस आली, कार्य अपनों समजी सुभम।
नैनीताल जन्मोत्सव पर कल होंगे कई कार्यक्रम
नैनीताल। शहर के ताल चैनल के तत्वावधान में हर वर्ष की तरह शुक्रवार को भी शहर की बसासत के 181 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर नैनीताल जन्म दिन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। ताल चैनल के महाप्रबंधक मारूति साह व निदेशक दीपक बिष्ट ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर दो बजे से डीएसए मैदान के बास्केटबाल ग्राउंड में कार्यक्रम शुरू होंगे। सर्वप्रथम सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जायेगा। इसके बाद नैनीताल के इतिहास के बावत जानकारी दी जायेगी। स्कूली बच्चों को उपहार वितरित कर अन्य आर्कषक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय पर्यटन व रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट व विशिष्ट अतिथि विधायक सरिता आर्य व वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी डा. कपिल जोशी होंगे। आयोजको ने नगर की जनता से अधिक से अधिक संख्या में इस कार्यक्रम में पहुंचने की अपील की है।